मल्टीमीडिया डेस्क। चैत्र नवरात्र की शुरुआत 18 मार्च, रविवार से हो रही है। नौ दिनों के इस उत्सव को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इस में शक्ति रूपा माता के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना होती है। इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन 25 मार्च को मनाई जाएगी।
क्षह रहेगा घट स्थापना शुभ मुहूर्त
पंडितों के अनुसार, घट स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 08.02 से 11.32 बजे तक चर, लाभ और अमृत के चौघड़िया और वृषभ लग्न में है। हालांकि प्रतिपदा एक दिन पहले 17 को शाम 7.45 बजे ही शुरू हो जाएगी।
संवत्सर के शुरू होते ही नया आकाशीय मंत्रिमंडल भी सक्रिय हो जाएगा। राजा सूर्य और मंत्री पद शनि देव संभालेंगे। वित्त मंत्रालय और हरियाली का दायित्व चंद्रमा के पास रहेगा।
ऐसे करें घट स्थापना
नवरात्रि पूजा के प्रथम दिवस कलश की स्थापना के लिए पहले जहां घट रखना है उस स्थान अच्छी तरह साफ करके शुद्ध कर लें। इसके बाद गणेश जी का स्मरण करते हुए लाल रंग का कपड़ा बिछा कर उस पर थोड़ा चावल रखें। अब एक मिट्टी के पात्र में जौ बो कर, पात्र के उपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें और इसके मुंह पर रक्षा सूत्र बांध दें।।
कलश पर रोली से स्वास्तिक बनायें। कलश के अंदर साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल और सिक्का डालें, फिर उस ऊपर आम या अशोक के पत्ते रख कर ऊपर से नारियल रख दें। इसके बाद इस पर लाल कपड़ा लपेट कर उसे मौलि से लपेट दें। अब सभी देवी देवताओं का आवाहन करें और उनसे नौ दिनों के लिए घट में विराजमान रहने की प्रार्थना करें। दीपक जलाकर कलश का पूजन करें, और इसके सम्मुख धूपबत्ती जला कर इस पर फूल माला अर्पित करें।
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