Thursday, 22nd May 2025

GPS लगने के बाद भी निगम के वाहनों से एक करोड़ का डीजल चोरी, 37 को नोटिस

Fri, Mar 16, 2018 7:25 PM

भोपाल। एक ओर वित्तीय हालत ठीक नहीं होने से नगर निगम के पास कर्मचारियों के भुगतान के लिए रकम नहीं है। वहीं कुछ अधिकारी और ड्राइवर मिलकर घोटाला कर रहे हैं। नवदुनिया की पड़ताल में सामने आया है कि बीते चार महीने में करीब एक करोड़ रुपए का डीजल चोरी कर लिया गया है। यह तब हुआ है, जबकि निगम 570 वाहनों में जीपीएस से मॉनिटरिंग कर रहा है। यही वजह है कि निगम कमिश्नर प्रियंका दास ने जीपीएस रिपोर्ट के आधार पर गत बुधवार को 37 अधिकारियों के खिलाफ नोटिस जारी किया। इनमें जलकार्य शाखा के 16 एई, 19 एएचओ, प्रभारी फायर ऑफिसर और सीवेज प्रभारी शामिल हैं। साथ ही चोरी हुए डीजल की रिकवरी के लिए भी चेतावनी भी दी। बता दें कि अगस्त 2017 में भी डीजल घोटाला सामने आया था, लेकिन कुछ ड्राइवरों पर ही कार्रवाई हो पाई थी, अधिकारी बच गए थे। इसके बाद वाहनों पर जीपीएस लगाए गए थे।

ऐसी की चोरी...निर्धारित दूरी तक नहीं चलाए गए वाहन

निगम के पंचशील नगर स्थित टैंक में महीने में 25 टैंकर डीजल आता है। ड्राइवरों के एवरेज के हिसाब से गाड़ी में डीजल डाला गया, लेकिन गाड़ी निर्धारित दूरी नहीं चली। इससे चोरी का पता चला। महीने में करीब दो टैंकर डीजल का हिसाब किताब नहीं मिला है। दो टैंकर में 36 हजार लीटर डीजल होता है। 62 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से यह रकम 22 लाख से अधिक होती है। गत नवंबर, दिसंबर, जनवरी और फरवरी चार महीने की जीपीएस की रिपोर्ट आ चुकी है। हर बार करीब दो टैंकर डीजल चोरी होने से करीब एक करोड़ के डीजल घोटाले का अनुमान लगाया जा रहा है।

यह उदाहरण जो बताते हैं किस हद तक हुई डीजल चोरी

- जनवरी 2017 में वाहनों की संख्या 780 थी, इस दौरान 25 टैंकर डीजल खपत हुई।

जनवरी 2018 में गाड़ियों की संख्या बढ़कर 900 पहुंच गई तब भी 25 टैंकर ही डीजल की खपत रही।

- फरवरी में 2017 में भी 25 टैंकर खपत रही, लेकिन फरवरी 2018 में गाड़ियां 950 तक पहुंच गईं। तब भी डीजल की खपत 25 टैंकर के आसपास ही रही।

- फरवरी महीने से निगम की 250 से अधिक बड़ी कचरा गाड़ियां आदमपुर छावनी में कचरा फेंकने जाने लगीं। जो एक बार में 15 किमी ज्यादा दूरी तय कर रही हैं, फिर भी खपत उतना ही रहा। इसके बाद भी डीजल चोरी हो गया।

- यानी जीपीएस लगने से पहले दोगुना डीजल चोरी हो रहा था।

चोरी रोकने के ये प्रयास भी बेअसर

- गत अगस्त से सभी गाड़ियों के लिए अलग इंडेंट बुक और लॉग बुक जारी की गई। इससे एक-एक गाड़ी कितने किमी चली कितना डीजल का खर्च किया। यह पता करना आसान हो गया।

- अक्टूबर से वाहनों में जीपीएस लगाने का काम शुरू किया गया, जिसके बाद खपत में कमी आई लेकिन चोरी जारी रही।

ऐसे रुकेगी डीजल चोरी

- जिम्मेदारों से सख्ती से रिकवरी हो।

- कौन सी गाड़ी कितने का एवरेज दे रही है इसका निगम जांच कराए। ड्राइवरों द्वारा बताए जा रहे एवरेज के हिसाब से डीजल देना बंद हो। इससे उतना ही डीजल मिलेगा जितनी गाड़ी को जरूरत है।

- चोरी मामले में हटाए गए दिहाड़ी कर्मचारियों को निगम की दूसरी शाखाओं में सेवाएं प्रतिबंधित हो। क्योंकि कुछ दिनों बाद जुगाड़ से वापस उसी जगह पर आ जाते हैं।

- गाड़ियों का रूट चार्ट निर्धारित हो, दूरी के हिसाब से डीजल दिया जाए। तय रूट से हटकर गाड़ी चलाने पर ऑटोमैटिक मॉनिटरिंग व्यवस्था शुरू हो।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery