भोपाल। ठीक से गर्मी शुरू भी नहीं हुई कि राजधानी में सांची के उत्पादों की किल्लत शुरू हो गई। बुधवार को आधे शहर में 200 एमएल की पैकिंग में सादा दही नहीं मिला। इसके पहले 200 ग्राम के पनीर की सप्लाई एक सप्ताह तक बंद रही। सांची उत्पादों के नहीं मिलने की वजह भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के पास पैकिंग मटेरियल उपलब्ध नहीं होना बताया जा रहा है। इन उत्पादों के बाजार में नहीं मिलने के कारण आम उपभोक्ताओं को परेशान होना पड़ रहा है।
गर्मी के दिनों में हर साल सांची के दही, मठा, लस्सी, छाछ और दूध की मांग बढ़ जाती है। ज्यादातर आम उपभोक्ता 200 एमएल की पैकिंग में इन उत्पादों की मांग करते हैं, जो भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के अधिकारी अभी से पूरी नहीं कर रहे हैं। कुछ सांची पार्लर संचालकों ने बताया कि मंगलवार शाम को ही वितरकों ने 200 एमएल वाला दही कम दिया था। पूछने पर पता चला कि पैकिंग मटेरियल नहीं होने के कारण अगले कुछ दिनों तक दही नहीं मिलेगा। अधिकारियों ने बुधवार सुबह की सप्लाई में पार्लर संचालकों को मांग का 10 फीसदी भी दही नहीं दिया। जो दिया था वह भी तेज गर्मी के बीच दोपहर तक खत्म हो गया। बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों तक सप्लाई बाधित रहेगी।
आधा किलो वाली पैकिंग वाले दही के पतले होने की शिकायत
कुछ पार्लर संचालकों को उपभोक्ताओं ने शिकायत की है कि आधा किलो वाला सादा दही पतला है। संचालकों ने बताया कि शिकायत के बाद उन्होंने वितरकों को दही भी लौटाया है। कुछ उपभोक्ताओं ने बताया कि आम दिनों में सांची का अच्छा दही मिलता है, कोई शिकायत नहीं आई। गर्मी शुरू होते ही दही पतला आने लगा।
लापरवाही
1- पनीर की पैकिंग 200 ग्राम से शुरू होती है, जिसकी बीते एक सप्ताह तक किल्लत रही। सूत्रों का कहना है कि जिस पॉलीथिन में पनीर की पैकिंग होती है वह पहले से खत्म हो गई थी, फिर भी अधिकारियों ने आर्डर नहीं दिए।
2- 200 एमएल दही प्लास्टिक के डिब्बे में आता है, इन डिब्बों की सप्लाई अलग से होती है, ये भी खत्म हो गए। फिर भी अधिकारियों को चिंता नहीं थी।
छोटी पैकिंग में सांची उत्पादों की ज्यादा मांग
राजधानी समेत आसपास के जिलों में सांची के उत्पादों की सबसे ज्यादा मांग है। खासकर छोटी पैकिंग में मिलने वाले उत्पाद अधिक बिकते हैं। इसमें दूध, दही सादा व मीठा, नमकीन मठा, छाछ, पनीर, बटर, घी, श्रीखंड, लस्सी व फ्लेवर्ड दूध शामिल है।
इसलिए अमूल की बराबर नहीं कर पा रहे
अधिकारी सीजन और उपभोक्ताओं की मांग को नहीं समझ पा रहे हैं। इसका नतीजा है कि गर्मी में दही जैसे उत्पाद की किल्लत आ रही है। यह एक बार का मामला नहीं है। हर बार गर्मी में सांची उत्पाद की कमी आती है। इससे उपभोक्ता प्राइवेट डेयरियों के उत्पादों की तरफ बढ़ते हैं। अमूल की बराबरी नहीं करने की वजह ठीक से मार्केटिंग की प्लानिंग नहीं कर पाना है। अब तो भोपाल में कई बड़ी-बड़ी डेयरियां अपना कारोबार फैला रही है, सांची के उपभोक्ता उनकी तरफ जा रहे हैं। सुधार के लिए अधिकारियों को सोचना होगा - बलराम बारंगे, पूर्व डायरेक्टर भोपाल दुग्ध संघ
पैकिंग मटेरियल की कमी नहीं
दो दिन पहले सभी मामलों की समीक्षा की है। पैकिंग मटेरियल की कमी जैसी कोई समस्या नहीं मिली। दही व पनीर नहीं मिलने की जानकारी मुझे नहीं है। इस मालमे को दिखवाया जाएगा - जितेंद्र सिंह राजे, सीईओ भोपाल सहकारी दुग्ध संघ
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