Sunday, 25th May 2025

शहीद के बेटे ने कहा सेना में भर्ती होकर लूंगा नक्सलियों से बदला

Thu, Mar 15, 2018 6:24 PM

मुरैना। पिताजी सेना में भर्ती होने की कहते थे और भर्ती के लिए तैयारी करने की भी कहते थे। अब मैं भर्ती की तैयारी करूंगा और सेना या सीआरपीएफ में भर्ती होकर नक्सलियों से अपने पिता की मौत का बदला लूंगा। यह बात शहीद के बेटे 17 वर्षीय विपिन ने मुखाग्नि देने से पहले कही। इसी दौरान शहीद की पत्नी प्रभादेवी ने कहा कि नक्सली निर्दोषों को मार रहे हैं और सरकार कुछ नहीं कर पा रही है। सरकार यदि चाहे तो नक्सलियों की समस्या दो दिन में खत्म हो सकती है। हालांकि दोनों ही लोग इससे ज्यादा कुछ कह नहीं सके।

शहीद रामकृष्ण सिंह तोमर की पार्थिव देह दोपहर में हेलिकाप्टर से भिण्ड आई। इसके बाद सड़क मार्ग से तरसमा गांव लाया गया। हालांकि तरसमा गांव में सुबह से ही गांव के व आसपास के लोग एकत्रित हो गए थे। सभी को रामकृष्ण की शहादत पर गर्व तो था, लेकिन उनके जाने का गम भी था। तकरीबन सभी की आंखों में शहीद को अंतिम विदा करते समय आंसू थे।

हर किसी में थी शहीद के अंतिम दर्शन करने की चाहत

जैसे ही शहीद की पार्थिव देह तरसमा में उनके पैतृक घर पर लाया गया, वैसे ही मौके पर मौजूद हर किसी की चाहत आखिरी बार उनका चेहरा देखने की थी। शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए लोग उमड़ पड़े।

परिजनों का था बुरा हाल

रामकृष्ण सिंह तोमर के शहीद होने की खबर तो कल ही सभी को मिल चुकी थी। तभी से पत्नी, भाई, बेटी व सभी परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था, लेकिन जैसे ही शव तरसमा में घर पर पहुंचा वैसे ही सभी लोगों का हाल बेहाल हो गया।

सलामी देने के लिए आई थी सीआरपीएफ की टुकड़ी

शहीद को अंतिम सम्मान देने के लिए सीआरपीएफ की टुकड़ी तरसमा आई थी। जिसका नेतृत्व 212 बटालियन के कमांडेंट विजय कुमार कर रहे थे। साथ ही जिला पुलिस बल भी मौजूद था।

थम नहीं रहा था लोगों के आने का सिलसिला

शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए लोगों के तरसमा आने का सिलसिला थम नहीं रहा था। आसपास गांवों के लोग अपने गांवों से पगडंडियों, कच्ची सड़कों से पैदल भी तरसमा आ रहे थे। शहीद की पार्थिव देह आने तक गांव में हजारों लोगों एकत्रित हो चुके थे।

किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा होगा

गांव के लोगों को रामकृष्ण की शहादत पर गर्व तो था। लेकिन उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि इतनी जल्दी हो जाएगा। क्योंकि 3 मार्च को होली पर वे तरसमा गांव में ही थे। गांव के ही अविनाश सिंह ने बताया कि होली पर ही तो रामकृष्ण आए थे, लेकिन इतनी जल्दी तिरंगे में लिपटकर आएंगे। ऐसा किसी ने नहीं सोचा था।

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