मल्टीमीडिया डेस्क। उत्तरप्रदेश की दो लोकसभा सीटों- गोरखपुर और फूलपुर में मतगणना जारी है और जिस तरह के परिणाम सामने आते दिख रहे हैं, वो कई मायनों में बहुत अहम हैं।
- रूझानों के मुताबिक, दोनों ही सीटों पर भाजपा हारती नजर आ रही है। गोरखपुर सीट योगी आदित्यनाथ के कारण और फूलपुर सीट यूपी सरकार में योगी के डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य के कारण खाली हुई थी। भाजपा यहां हार रही है, यानी सपा और बसपा के हाथ मिलाने की रणनीति काम कर गई।
- अब सवाल उठेंगे कि क्या जो प्रयोग सपा और बसपा ने किया, उसे राष्ट्रीय राजनीति में आजमाया जा सकता है। भाजपा और मोदी को रोकने के लिए थर्ड फ्रंट की तेजी से उठती आवाज को समर्थन मिल सकता है।
- क्षेत्रीय दल तो कम से कम यही उम्मीद लगा सकते हैं कि थर्ड फ्रंट 2019 में उन्हें कामयाबी दिला सकता है। कांग्रेस की जो स्थिति है, उसे देखते हुए राजनीतिक पंडित 2019 में 'क्षेत्रीय दल बनाम भाजपा' का मुकाबला देख रहे हैं।
- सपा और बसपा के गठबंधन के कारण अन्य राज्यों के दलों की भी इन चुनावों पर नजर थी। जब वोटों की गिनती जारी थी और भाजपा हार रही थी, तब ही जम्मू-कश्मीर में बैठे नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया था कि कम ऑन गोरखपुर-फूलपुर, यू केन डू इट।
- यूपी में हार का सीधा असर योगी आदित्यनाथ पर पड़ेगा। प्रदेश विधानसभा में उनके काम पर सवाल उठेंगे। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी पर भी सवाल उठेंगे।
- भाजपा के लिए इन परिणामों के मायने साफ हैं कि यदि 2019 से पहले विपक्षी दल मिलते हैं तो उसके लिए सत्ता बचाना मुश्किल हो सकता है।
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