इंटरनेशनल डेस्क.जापान में सात साल पहले भूकंप और सुनामी ने जबरदस्त तबाही मचाई थी। समुद्र में उठे तूफान ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। हालांकि, इतने साल बाद नॉर्थईस्ट कोस्ट पर लोगों ने दोबारा अपनी जिंदगी शुरू कर ली है और वो भी समुद्र के किनारे मौजूद ऊंची दीवारों के साए में। ताकि अब उन्हें कोई सुनामी न उजाड़ सके। एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि अगर अगली बार ऐसी सुनामी आती है तो दीवार उससे प्रोटेक्ट करने में सक्षम है। दीवार बनाने में खर्च हुए 82 हजार करोड़ रु....
- समुद्र के किनारे बनी कांक्रीट की ये दीवार 12.5 मीटर यानी 41 फीट ऊंची हैं। ये दीवार 395 किमी की दूरी में बनी हुई है, जिसमें 82 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
- तबाही के बाद से जापान ने कई टाउन में कोस्ट के पास वाले इलाकों में फ्लैट का कंस्ट्रक्शन प्रतिबंधित कर दिया है और वहां पहले से रह रहे लोगों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर दिया है।
- वहीं, रिकूजेन्तकाता शहर ने नई बिल्डिग्स के कंस्ट्रक्शन से पहले उस जगह की जमीन का लेवल कई मीटर ऊंचा कर लिया है, ताकि नुकसान की गुंजाइश न रह जाए।
- हालांकि, इस दीवार के पास बने मकान में रहने वाले 52 साल के एक शख्स ने कहा कि यहां रहने पर ऐसा लगता है कि जैसे हम जेल में हों। वो भी तब जबकि हमने कोई अपराध किया ही नहीं।
- वहीं, कई लोकल लोगों ने दीवार बनाने की पहल का स्वागत किया था, लेकिन समय के साथ वो भी अब इस आइडिया की आलोचना कर रहे हैं।
इतनी बदल गई ये जगह
- कुछ लोगों का मानना है कि कहीं इस दीवार के चलते यहां का टूरिज्म न प्रभावित हो जाए। सेंट्रल जापान से आने वाले टूरिस्ट रिको का कहना है कि हम यहां समुद्र के किनारे ड्राइव करते थे और एन्जॉय करते, लेकिन अब दीवार बनने से यहां इसके निशान भी नहीं हैं। ये जगह बिल्कुल बदल सी गई है।
- वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि दीवार की प्लानिंग के वक्त उन लोगों से ज्यादा बातचीत और सुझाव नहीं लिए गए। इस दीवार में जो पैसा लगा है, उसमें हमें कहीं और बसाया जा सकता था।
नहीं होगा पहले जैसा नुकसान
- टोक्यो के पास योकोसूका में पोर्ट एंड एयरपोर्ट रिसर्च इंस्टीस्यूट के रिसर्चर हिरोयासू कवाई के मुताबिक, ये सीवॉल सुनामी और बाढ़ जैसे खतरों से सुरक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि अगर सुनामी की लहरें इस दीवार से भी ऊंची हुईं, तब भी बाढ़ का पानी भरने में टाइम लगेगा और लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने का पूरा वक्त मिल जाएगा।
सुनामी ने बर्बाद कर दिए थे कई शहर
- 11 मार्च 2011 में आए भूकंप और सुनामी के दौरान जापान में कई जगहों पर लहरें 30 मीटर तक ऊंची थीं, जिसने करीब 18 हजार लोगों की जान ले ली थी। सुनामी ने न्यूक्लियर फुकुशिमा पावर प्लांट के रिएक्टर बर्बाद कर दिए थे। वहां लोगों को शहर तक छोड़ने पर मजबूर होने पड़ा था।
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