Sunday, 25th May 2025

शहादत और शौर्य का सम्मान, आंसुओं ने दी सलामी

Sun, Mar 11, 2018 4:15 PM

महू, । जब अपनों की याद आती है तो आंखें अपने आप नम हो जाती हैं, लेकिन जब यह मौत शहादत हो तो आंसू शौर्य की कहानी सुनाते हैं। शनिवार को ऐसे ही आंसू, पराक्रम की गाथाएं, वीरता से दमकते चेहरे और सीमा पर मर मिटने का प्रण लेते सैकड़ों सैनिकों के गौरवपूर्ण क्षणों का साक्षी बना महू छावनी का ऐतिहासिक पद्मश्री शंकर लक्ष्मण मैदान। मौका था 'नईदुनिया सैनिक सम्मान& समारोह का। इस गरिमामय कार्यक्रम में 10 शहीदों के परिजन और 22 गैलेंट्री अवॉर्डी को सम्मानित किया गया। अनुशासन सुनते ही सबसे पहले सेना का नाम याद आता है। यहां वही अनुशासन देखने को मिला।

कार्यक्रम तय समय पर शुरू हुआ और मिनट-दरमिनट तय रूपरेखा के अनुसार ही चला। आम जनता ने भी सेना के अनुशासन का साथ दिया। कार्यक्रम ठीक 6.30 बजे सेना के बैंड की प्रस्तुति 'आरंभ है प्रचंड गीत के साथ शुरू हुआ। इसके बाद चला सम्मान का सिलसिला। सबसे पहले अशोक चक्र अवॉर्डी शहीद हवलदार हंगपन दादा की पत्नी चशेन लोवांग को सम्मानित किया गया। इसके बाद मेघा परदेसी ने 'ऐ मेरे वतन के लोगों... गीत गाना शुरू किया तो बहुतेरी आंखें नम हो गईं। नृत्यांगना राखिनी मक्खर ने कथक की तीन विशेष प्रस्तुतियां दीं।

पहले वीर नारियों को सम्मान : अशोक चक्र अवॉर्डी शहीद ले.कर्नल हर्ष उदय सिंह गौर की पत्नी अचला गौर, लांस नायक राजेंद्र कुमार नायक (सेना मेडल) की पत्नी प्रतिभा देवी, शहीद कैप्टन उपमन्यु सिंह (सेना मेडल) की पत्नी मोनिका सिंह, शहीद नईदुनिया सैनिक सम्मान समारोह में सेना के वीरों और वीर नारियों का सम्मान हवालदार सुभाष चंद की पत्नी मीरा कुछेकर, शहीद नायक संदीप बोरिया की पत्नी डोली बोरिया, भीम सिंह मावी की पत्नी गंगा मावी, शहीद सिपाही गजानन की पत्नी जमुना बाई, शहीद हवलदार सुभाष कुलकर्णी की पत्नी संध्या, शहीद सिपाही सुरेंद्र राजपूत के पिता रनवीर सिंह को सम्मानित किया। इंफेंट्री स्कूल परिवार कल्याण केंद्र की अध्यक्ष रश्मि चोपड़ा, एमसीटीई परिवार कल्याण केंद्र की अध्यक्ष अलका सभरवाल, आर्मी वार कॉलेज परिवार कल्याण केंद्र की अध्यक्षा मंजरी शुक्ला और विनीता शुक्ला ने सम्मान प्रदान किया।

22 गैलेंट्री अवॉर्डी सम्मानित : मुख्य अतिथि कमांडेंट इंफेंट्री स्कूल ले. जनरल राजीव चोपड़ा (अति विशिष्ट सेवा मेडल), कमांडेंट कॉलेज ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग ले. जनरल राजीव सभरवाल (अति विशिष्ट सेवा मेडल), कमांडेंट आर्मी वार कॉलेज ले.जनरल राज शुक्ला (युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल) और नईदुनिया के सीईओ संजय शुक्ला, संपादक (मप्र) आशीष व्यास और हेड-ऑपरेशंस नरेश पांडे ने गैलेंट्री अवॉर्डियों को सम्मानित किया। सबसे पहले वीर चक्र अवॉर्डी विंग कमांडर पीपीएस क्वात्रा को सम्मानित किया गया।

इसके बाद कीर्ति चक्र अवॉर्डी कर्नल कमलदीप सिंह, दो बार शौर्य चक्र अवॉर्डी कर्नल थोंगम जेएस, सेना मेडल व सेना बार मेडल अवॉर्डी कर्नल आकाश खजांची, सेना मेडल व सेना टू बार मेडल अवॉर्डी कर्नल सौरभ खलगांवकर को सम्मानित किया। इसी क्रम में सेना मेडल अवॉर्डियों बिग्रेडियर हरित पंत, बिग्रेडियर किशोर मल्होत्रा, कर्नल नीरज गुप्ता, कर्नल नील जॉन, कर्नल यूएस आनंद, कर्नल सतेंदर मलिक, कर्नल रमाकांत शर्मा, कर्नल दीपक मोहन, कर्नल आरएस रंजन, कर्नल अभिषेक दास, ले. कर्नल डीएस सावंत, ले. कर्नल सौरभ सिंह, ले. कर्नल तुषार शर्मा, मेजर एसएस पठानिया, नायक एलएच लियाना और मेंशन्ड इन डिस्पैच (गैलेंट्री) अवॉर्डी व कर्नल विजय खन्ना (सेना मेडल) को सम्मानित किया गया।

दुश्मन की गोली ने इरादा इतना मजबूत किया कि अब ओलिंपिक में निशाना साधने का जुनून

कार्यक्रम में जब वीर योद्धाओं का नाम पुकारा जा रहा था, उस बीच एक नाम पुकारा गया मेजर मनीष सिंह, शौर्य चक्र का। सबकी निगाहें मंच पर उनका इंतजार कर रही थीं, लेकिन अतिथि हाथ में सम्मान पत्र लिए मंच से नीचे उतर आए। व्हील चेयर पर बैठे मेजर मनीष सिंह को आता देख मैदान में मौजूद हजारों दर्शक उनके सम्मान में खड़े हो गए। उनकी वीरगाथा सुनकर सभी के रोंगटे खड़े हो गए। दुश्मन की गोली रीढ़ की हड्डी के एक हिस्से को भेदते हुए मेजर मनीष सिंह के दूसरे हिस्से से आर-पार हो गई, उसके बाद वे पैरों पर खड़े तो नहीं हो पाए, लेकिन उसके बाद भी उनका इरादा कमजोर नहीं हुआ। उन्होंने भी दो आतंकियों को मार गिराया।

हादसे ने व्हील चेयर थमा दी, लेकिन जज्बा ऐसा कि उन्होंने युद्ध के मैदान में न सही देश का नाम ऊंचा करने के लिए खेल के मैदान में निशाना लगाना शुरू किया। मेजर मनीष एयर पिस्टल प्रतिस्पर्धा में तीन बार नेशनल तक जा चुके हैं। अब वे महू में रहकर पिस्टल शूटिंग की ट्रेनिंग ले रहे हैं और उनका लक्ष्य ओलिंपिक में देश के लिए मेडल जीतना है। मेजर मनीष सिंह को उनकी इस वीरता के लिए 26 जनवरी 2013 को शौर्य चक्र मिला

 

रीढ़ की हड्डी में लगी थी गोली

सितंबर 2012 में मेजर मनीष सिंह कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में पदस्थ थे। इनकी टीम को इस क्षेत्र में आतंकियों की सूचना मिली। इसके बाद उन्होंने सर्च एंड डिस्ट्रॉय ऑपरेशन चलाया। एक जगह उनका 6 अफगानी आंतकियों से सामना हो गया। दोनों ओर से गोलियां चलीं, इस ऑपरेशन में दो आतंकी मारे गए। इसमें आतंकियों की दो गोली इनकी रीढ़ की हड्डी में लगी। इस कारण वे अब व्हील चेयर पर हैं। वे 2014 से महू में पदस्थ हैं।

ये आंसू नहीं, हंगपन दादा की शहादत को श्रद्धासुमन हैं : चशेन लोवांग

समारोह में जैसे ही अशोक चक्र सम्मानित शहीद हंगपन दादा का नाम लिया गया तो मंच के नीचे बैठीं उनकी पत्नी चशेन लोवांग की आंखों से गर्व भरे आंसू बह निकले। मंच पर अतिथियों से सम्मान ग्रहण करते समय भी उनके आंसू नहीं थम रहे थे। इस सम्मान से चशेन इतना अभिभूत हुईं कि मंच से उतरने के बाद भी पांच मिनट तक अपने चेहरे पर हाथ रखे रोती रहीं। उन्होंने कहा-मेरे पति हंगपन दादा ने मुझसे कहा था कि तुम मेरी चिंता मत करो। सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि सभी साथियों के लिए प्रार्थना करना। मैं रहूं या न रहूं, मेरी रेजीमेंट व आर्मी हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी। मुझे महू में आज जो सम्मान मिल रहा है वो सिर्फ उनके कारण ही है। मेरे आंसू भी उनकी शहादत को श्रद्धासुमन हैं।

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