नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने सुरेश भैयाजी जोशी को संगठन का चौथी बार सरकार्यवाह चुना है। वे 2009 से इस पद पर हैं। मार्च में उनका कार्यकाल खत्म हो रहा था। पहले चर्चा थी कि संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले को यह जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की इस बैठक के लिए पूरे देश से करीब 3000 प्रचारकों को नागपुर बुलाया गया था। अब भैयाजी मार्च 2021 तक इस पद पर रहेंगे।
सरकार्यवाह की क्या भूमिका होती है?
- संघ प्रमुख को सरसंघचालक कहते हैं। उनकी भूमिका सलाहकार की होती है। ऐसे में संघ को चलाने के लिए सरकार्यवाह की जरूरत रहती है। संघ में एक ही सरकार्यवाह होता है। उसे महासचिव भी कहते हैं। वह संघ का सबसे बड़ा कार्यकारी अधिकारी होता है।
होसबोले थे प्रबल दावेदार
- सरकार्यवाह की दौड़ में सबसे आगे सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले थे।
- होसबोले कर्नाटक से आते हैं। वे युवावस्था से ही संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लिए काम किया है। होसबोले के अलावा सह सरकार्यवाह में सुरेश सोनी, डॉ. कृष्णगोपाल और वी भागैया हैं। सोनी सेहत खराब होने की वजह से दो साल से छुट्टी पर थे। उन्होंने कुछ वक्त पहले ही कामकाज संभाला है।
ऐसे होता है सरकार्यवाह का चयन
- नए सरकार्यवाह की चयन प्रकिया शुरू करने के आग्रह के साथ ही मौजूदा सरकार्यवाह मंच से नीचे उतर जाते हैं।
- नए सरकार्यवाह के नाम का प्रस्ताव सरसंघचालक देते हैं। यह आमतौर पर सबसे वरिष्ठ सह सरकार्यवाह होता है। प्रस्तावित नाम पर केंद्रीय प्रतिनिधि ओम उच्चारण के साथ हाथ उठाकर नए सरकार्यवाह का चयन सम्पन्न कराते हैं। अगले दिन सरसंघचालक और सरकार्यवाह अपनी कार्यकारणी का एलान करते हैं। चयन में प्रचारक की सहमति नहीं ली जाती।
सरसंघचालक से सह सरकार्यवाह के पद पर अभी कौन?
सरसंघचालक: डॉ. मोहन भागवत
सरकार्यवाह: सुरेश भैयाजी जोशी
सह सरकार्यवाह: सुरेश सोनी
सह सरकार्यवाह: दत्तात्रय होसबले
सह सरकार्यवाह: डॉ. कृष्ण गोपाल
सह सरकार्यवाह: वी भगैया
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