नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रही टीडीपी के दो केंद्रीय मंत्रियों ने कैबिनेट से अपना इस्तीफा दे दिया है, वहीं राज्य की कैबिनेट से भाजपा विधायकों का इस्तीफा ले लिया गया है। इसकी पुष्टि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने कर दी है। उन्होंने यह जानकारी देते हुए विधानसभा में कहा कि दोनों ही मंत्रियों ने अपने मंत्रालय में रहते हुए अच्छा काम किया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को जो बयान दिया वो ठीक नहीं है। आप उत्तर-पूर्व के राज्यों का हाथ पकड़कर चल रहे हैं लेकिन आंध्र का नहीं। आप उन्हें औद्योगिक इंसेटिव्स दे रहें हैं हमें नहीं, यह भेदभाव है।
टीडीपी के मंत्रियों के इस्तीफे के बाद चंद्रबाबू नायडू अाज पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में टीडीपी के एनडीए गठबंधन में बने रहने को लेकर फैसला हो सकता है।
भाजपा और टीडीपी के बीच जारी इस घमासान को लेकर कांग्रेज ने तंज कसना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने इसे लेकर कहा कि यह कैसा क्राइसिस है? यह तो मैच फिक्सिंग है। वो अब भी गठबंधन से बाहर होने का दिखावा कर रहे हैं। क्या होगा अगर दो मंत्री इस्तीफा दे दें। अगर आप गंभीर हैं तो इसे गंभीरता से करें।
इससे पहले बुधवार को चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार से अपने दो मंत्रियों को हटा लेने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि केंद्र में टीडीपी कोटे के दोनों कैबिनेट मंत्री यानी अशोक गजपति राजू (केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री) और वाईएस चौधरी (विज्ञान और तकनीकी राज्य मंत्री) गुरुवार को इस्तीफा दे सकते हैं। साथ ही यह भी कहा कि उनकी पार्टी राजग से भी अलग हो सकती है।
उन्होंने अगले कदमों की घोषणा भी शीघ्र करने की बात की। चंद्रबाबू ने अमरावती में पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय बजट में आंध्र की अनदेखी को लेकर मोदी सरकार से नाराजगी जताई। उन्होंने कहा किकेंद्र ने पांच साल पहले आंध्र प्रदेश के विभाजन के समय कई वादे किए थे, लेकिन एक भी नहीं निभाया गया। यह वादा केंद्र में उस समय की मनमोहन सरकार ने किया था।
दरअसल, आंध्र में विशेष राज्य के दर्जे को लेकर राजनीति गहरा गई थी। जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर-कांग्रेस ने केंद्र को पांच अप्रैल तक विशेष राज्य की घोषणा का अल्टीमेटम दे रखा है। ऐसा नहीं होने पर पार्टी के सभी नौ सांसद और विधायक संबद्ध सदनों से इस्तीफा दे देंगे।
इस अल्टीमेटम के बाद राज्य में कौन आगे-कौन पीछे की लड़ाई शुरू हो गई। सत्तारूढ़ टीडीपी को मजबूरी में इस लड़ाई में कूदना पड़ गया। क्योंकि पहले वह विशेष पैकेज की ही मांग कर रही थी। बाद में वाईएसआर-कांग्रेस के रुख को देख उसने भी विशेष राज्य के दर्जे की मांग शुरू कर दी। यही मजबूरी उसके गले की फांस बनकर मोदी मंत्रिमंडल से अलग होने का कारण बन गई।
दो नावों की सवारी
आंध्र को लेकर चंद्रबाबू को दो नावों की सवारी करनी पड़ रही है। एक तरफ वह विशेष राज्य के दर्जे की मांग का समर्थन करते हुए दिखना चाहते हैं, वहीं केंद्र सरकार से संबंध भी नहीं बिगाड़ना चाहते। यही कारण है कि अमरावती में पत्रकारों से बात करने से पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने की कोशिश की थी लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। उन्होंने कहा-लिहाजा, मेरे ओएसडी ने प्रधानमंत्री के ओएसडी को इस फैसले की सूचना दे दी।
यह है नाराजगी
नायडू ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन इसलिए किया गया था, ताकि आंध्र को न्याय मिल सके।लेकिन ऐसा हो न सका। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री नायडू दर्जनों बार दिल्ली में प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से मिले। फिर भी उनके अनुरोध पर गौर नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश को अवैज्ञानिक तरीके से बांटा गया था। इससे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चार साल से राज्य के लोग अपने साथ इंसाफ की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन बजट में भी आंध्र को फंड नहीं दिए गए।
विशेष राज्य का दर्जा संभव नहीं
आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा कई कारणों से संभव नहीं है। एक तो 14वें वित्त आयोग ने विशेष राज्य के दर्जे का प्रावधान ही खत्म कर दिया है। दूसरे, इसके लिए नियमों में व्यापक बदलाव करने पड़ेंगे। अगर नियमों में बदलाव कर भी दिया गया तो बिहार, झारखंड जैसे अन्य राज्य भी इसी तरह की मांग शुरू कर देंगे। इसलिए मोदी सरकार टीडीपी की मांग के आगे किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं है। फिलहाल देश में मेघालय, असम, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, उत्तराखंड समेत कुल ग्यारह राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है।
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