इंदौर(मध्यप्रदेश). शहर में सात दशक पुरानी और पूरे देश में मशहूर रंगारंग परंपरा ‘गेर’ का उल्लास चरम पर था। मिसाइलनुमा बड़ी पिचकारी से राजबाड़ा चौक पर मौजूद हर चेहरा रंग गया। गेर के शुरुआती दौर में पिचकारी के रंग दूर तक नहीं जाते थे। फिर 80 के दशक में बड़ी पिचकारी बनाई गई, जिससे दूर खड़े लोगों पर भी रंग जाने लगा। वो पहली रंगपंचमी थी, जिसने लोगों का उत्साह दोगुना कर दिया। जो खुद गेर में शरीक हुए, दूर बैठे दोस्तों को फेसबुक पर लाइव दिखाते रहे। पिछली रंगपंचमी 80 हजार और 2011 वर्ल्ड कप जीत पर जुटे थे 1 लाख लोग। (आंकड़े-आईबी सूत्रों से)
खास बात, 7 दशक पुरानी इस परंपरा में सबसे ज्यादा युवा
1. पहली बार गेर आधा घंटा देर से शुरू हुई। इस साल सबसे कम सिर्फ 2 गेर और 1 फाग यात्रा निकाली गई। पहली बार मॉरल क्लब और मालवा क्लब की गेर इसका हिस्सा नहीं थी।
2. पहली बार राजबाड़ा की गेर सोशल मीडिया पर खूब ‘लाइव’ हुई। फोटो खींचने के साथ युवाओं का पूरा ध्यान इंदौर में या बाहर रह रहे परिचितों को गेर का सीधा प्रसारण दिखाने में लगा रहा।
3. पहली बार गेर खत्म होने के आधे घंटे बाद ही राजबाड़ा और आसपास के क्षेत्र की सड़कें साफ हो गईं। ऐसा भी पहली बार ही हुआ है। पहले सड़कें साफ तो होती थीं, लेकिन इतनी जल्दी नहीं।
4. पहली बार गेर विशुद्ध जनता का उत्सव नजर आया। पुलिस-प्रशासन ने कांग्रेस नेता अर्चना जायसवाल का स्वागत मंच तक हटवा दिया।
5. 80 के दशक में आई पिचकारी से घर तक रंग गए थे, अब मिसाइल से निकले रंग से सराबोर हो गया हर 21वां इंदौरी
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