अगरतला. त्रिपुरा के अगले मुख्यमंत्री बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब होंगे। देब की लीडरशिप में बीजेपी ने राज्य में पहली बार 35 सीट जीती हैं। 2013 के चुनाव में पार्टी के पास एक भी सीट नहीं थी। अगरतला में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी के विधायकों की बैठक में देब के नाम पर मुहर लगाई गई। इसमें बीजेपी की ओर से केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर नितिन गडकरी मौजूद थे। उन्होंने ही मीडिया को यह जानकारी दी। उधर, बीजेपी के ही लीडर जिष्णु देव वर्मा को डिप्टी सीएम बनाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, 8 मार्च को शपथ ग्रहण होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद रहेंगे।
कौन हैं बिप्लब देब?
- 48 साल के बिप्लब कुमार देब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनका जन्म उदयपुर में हुआ। वे पश्चिम त्रिपुरा की बनमालीपुर सीट विधायक हैं।
- त्रिपुरा यूनिवर्सिटी से 1999 में ग्रेजुएट किया। समाजसेवा के काम करते रहे हैं। साफ-सुथरी छवि। कोई भी क्रिमिनल केस दर्ज नहीं है। हलफनामे में अपनी कुल प्रॉपर्टी 5.85 करोड़ बताई।
- संघ से जुड़े रहे हैं। संगठन में रहकर काम किया है। बीजेपी के थिंक टैंक रहे केएन गोविंदाचार्य के साथ काम कर चुके हैं।
बिप्लव को क्यों सौंपी जा रही है जिम्मेदारी?
1) बीजेपी शून्य से 35 सीट पर पहुंची
- बीजेपी पिछले 35 साल से राज्य में चुनाव लड़ रही है। लेकिन कभी भी अपना जनाधार नहीं बना पाई।
- पार्टी 2013 के चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। अब उसे 35 सीट मिली हैं।
एक नजर चुनाव नतीजों पर:
पार्टी | 2018 के नतीजे | 2013 में सीटें | फायदा/नुकसान | 2013 में वोट शेयर | 2018 में वोट शेयर |
सीपीएम | 16 | 49 | -33 | 48.1% | 42.7% |
कांग्रेस | 00 | 10 | -10 | 36.5% | 1.8% |
बीजेपी | 35 | 00 | +35 | 1.5% | 43.0% |
आईपीएफटी (बीजेपी अलायंस) | 08 | 00 | +8 | 0.3% | 7.5% |
2) अपनी बात जनता तक पहुंचाने में कामयाब रहे
- बिप्लब ने त्रिपुरा में जमीनी स्तर पर काम किया। चुनाव से पहले उन्होंने कहा था कि राज्य में लेफ्ट की सरकार 25 सालों से जनता का बेवकूफ बना रही है। यहां भरपूर नेचुरल रिसोर्स होने के बावजूद यह देश का सबसे गरीब राज्य है। उन्होंने वादा किया था कि बीजेपी अगर सत्ता में आई तो इसे मॉडल स्टेट बनाया जाएगा। बिप्लब अपनी यह बात जनता तक पहुंचाने में कामयाब रहे।
- उनकी अगुआई में कई लेफ्ट समर्थक बीजेपी में आए। फरवरी के पहले हफ्ते में उन्होंने 1600 से ज्यादा लेफ्ट सपोर्टर्स के बीजेपी में आने का दावा किया था।
कौन हैं जिष्णु देव वर्मा?
- जिष्णु राज्य बीजेपी के जनजाति मोर्चा के संयोजक हैं। हालांकि, वे अभी विधायक नहीं चुने गए हैं। उन्होंने चारिलाम सीट से पर्चा भरा था, लेकिन यहां लेफ्ट कैंडिडेट की मौत के बाद चुनाव रद्द कर दिए गए थे। इस सीट पर 15 मार्च को चुनाव होगा।
सरकार बनने से पहले बीजेपी-अाईपीएफटी में दरार
- त्रिपुरा में 59 सीटों के लिए चुनाव हुए, जिनमें से 35 पर बीजेपी और 8 सीटों पर उसके सहयोगी दल इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के उम्मीदवार जीते हैं। एक सीट पर सीपीएम उम्मीदवार के निधन के कारण मतदान रद्द कर दिया गया था। आईपीएफटी ने कहा है कि अगर उसे सरकार में अहम जिम्मेदारी नहीं मिली तो वो बाहर से ही समर्थन देगी।
- आईपीएफटी की इस मांग पर बीजेपी ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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