बीजिंग। राष्ट्रपति पद पर शी चिनफिंग के अनिश्चितकाल तक बने रहने के प्रस्ताव का चीन ने बचाव किया है। चीन की सरकार ने रविवार को कहा कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभुत्व को बरकरार रखने के साथ ही नेतृत्व की एकता के लिए यह कदम जरूरी है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) ने हाल में राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति पद पर लगातार दो कार्यकाल की समयसीमा के संवैधानिक प्रावधान को खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव को लेकर ना सिर्फ चीन बल्कि विदेश में भी चिंता जताई गई कि चिनफिंग दूसरा कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे।
उनका दूसरा पांच वर्षीय कार्यकाल हाल में ही शुरू हुआ है। वह 2013 से चीन के राष्ट्रपति हैं। देश की नाममात्र की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के प्रवक्ता झांग येसुई ने रविवार को मीडिया से कहा, "राष्ट्रपति का कार्यकाल निश्चित होता है लेकिन पार्टी के मुखिया और सेना प्रमुख के कार्यकाल की कोई सीमा नहीं होती। सीपीसी के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के महासचिव या अध्यक्ष पद पर कोई दो कार्यकाल से ज्यादा नहीं रह सकता। इसलिए संविधान में राष्ट्रपति के संदर्भ में भी यही प्रावधान होना चाहिए। यह देश की नेतृत्व प्रणाली की एकजुटता के लिए जरूरी है।"
चीन ने रक्षा बजट का नहीं किया ऐलान
चीन ने इस साल के रक्षा बजट का ऐलान नहीं किया। ऐसा पहली बार हो रहा है जब यह नहीं बताया गया कि रक्षा बजट में कितनी बढ़ोतरी की गई। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के प्रवक्ता झांग येसुई ने सिर्फ इतना कहा कि चीन शांतिपूर्ण विकास की राह का पालन करता है। उसकी रक्षा नीति रक्षात्मक है और इससे दूसरे देशों को कोई खतरा नहीं होगा।
भारत से तिगुना है रक्षा बजट
चीन ने पिछले साल अपना रक्षा बजट बढ़ाकर 150.5 अरब डॉलर किया था। यह भारत के मौजूदा रक्षा बजट 52.5 अरब डॉलर से करीब तीन गुना ज्यादा है। दुनिया में अमेरिका का रक्षा बजट सबसे ज्यादा 602.8 अरब डॉलर का है।
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