भोपाल ।मध्यप्रदेश समेत देश में कहीं भी आयुष डॉक्टर बनने के लिए क्वालीफाइंग परीक्षा में कम से कम 50 परसेंटाइल अंक लाना जरूरी होगा। इस साल से आयुष ( आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा योग व नैचरोपैथी) में यूजी और पीजी कोर्स में दाखिले नेशनल एलिजबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट (नीट) से किए जाने हैं।
इन कॉलेजों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने नीट के साथ ही न्यूनमतम अंक भी अनिवार्य कर दिए हैं। पिछले साल पीजी कोर्स में दाखिले नीट से व यूजी कोर्स में दाखिले व्यापमं द्वारा कराई गई पाहुंट परीक्षा से किया गया था, लेकिन न्यूनतम अंक की कोई शर्त नहीं थी।
पाहुंट (प्री आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी टेस्ट) में एक बार पहले 50 फीसदी अंक लाने की अनिवार्यता की गई थी, लेकिन बाद में इसे हटा लिया गया। लिहाजा, 10-20 फीसदी अंक वाले को भी दाखिला मिल जाता था। नई व्यवस्था से आयुष कॉलेजों का शैक्षणिक स्तर सुधरेगा, लेकिन निजी कॉलेजों की सीटें खाली रहने की संभावना है।
टीचर्स को भी देना होगी नेट-
देशभर के आयुष कॉलेजों में भी फैकल्टी तभी काम कर पाएंगे जब वे नेशनल टीचर्स एलिजबिलटी टेस्ट पास कर लेंगे। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इसके लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) व सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी मेडिसिन (सीसीएच) की ओर से नीट पास कर लेने वाले टीचर का एक यूनिक कोड तैयार होगा, जो पूरी नौकरी के दौरान काम करेगा।
इस कोड से फैकल्टी का पूरा प्रोफाइल देखा जा सकेगा। अभी तक एमडी-एमएस डिग्री के बाद उन्हें बतौर फैकल्टी नियुक्त कर दिया जाता है। आयुष मंत्रालय ने यह भी साफ कर दिया है कि लेक्चरर से रीडर ( एसोसिएट प्रोफेसर) पर प्रमोशन के लिए भी आयुष नेशनल एलीजिबिलिटी टेस्ट पास करना होगा। अभी यह व्यवस्था एलोपैथिक मेडिकल कॉलेजों में भी नहीं है। बता दें कि प्रदेश में आयुर्वेदके 19, होम्योपैथी के 27, यूनानी के 4 व प्राकृतिक चिकित्सा के 3 कॉलेज चल रहे हैं।
शैक्षणिक स्तर सुधरेगा-
न्यूनतम अंक तय करने से निश्चित तौर पर आयुष कॉलेजों का शैक्षणिक स्तर सुधरेगा। लेकिन, इस नियम का कड़ाई से पालन कराना होगा। नए नियम से टीचर्स की क्वालिटी भी सुधरेगी। डॉ. राकेश पाण्डेय, प्रवक्ता आयुष मेडिकल एसोसिएशन
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