रायपुर. प्राचार्य के दरवाजे पर सालों अटेंडेंस लगाने वाले वरिष्ठ व्याख्याता परमेश्वरदीन यादव ने आखिरकार अपनी जंग जीत ली। वे इस मामले को लेकर हाईकोर्ट बिलासपुर तक गए। वहां फैसला उनके पक्ष में हुआ। हाईकोर्ट ने यादव के खिलाफ शासन द्वारा जारी सभी आदेश निरस्त कर दिए। इसके बाद शिक्षा संचालनालय ने भी उनके खिलाफ विभागीय जांच बंद कर ज्वाइनिंग के आदेश दिए। शनिवार को यादव ने जांजगीर जिले के बलौदा के बुड़गहन हाईस्कूल में करीब 6 वर्ष बाद सम्मानपूर्वक फिर ज्वाॅइनिंग दी तो उनकी आंखें भीगी थीं। खास बात यह कि अदालत में केस लड़ने यादव ने वकील तो किया, लेकिन हाईकोर्ट में अपनी पैरवी खुद की।
ऐसे शुरू हुई स्कूल प्रबंधन और प्रशासन के खिलाफ अजीबो-गरीब जंग
इस दिलचस्प मामले की शुरुआत हुई थी 25 जुलाई 2012 को जब दाऊ कल्याण सिंह मंत्रालय से एक आदेश निकला था। इसमें 197 व्याख्याताओं का तबादला किया गया था। इस स्थानांतरण सूची में यादव का नाम 107 और 141 नंबर पर दो जगह था। 107 में उन्हें बरपाली से डीईओ के विकल्प पर भेजा गया था, जबकि 141वें नंबर पर उन्हें बरपाली से सक्ती के नगरदा हाईस्कूल भेजा गया था। इस फरमान का पालन 30 जुलाई तक होना था, लेकिन प्रशासन की ढिलाई से यादव व स्कूल प्रबंधन को यह आदेश एक हफ्ते देर से यानी 6 अगस्त को मिला। यहीं से शुरू हुई यादव की स्कूल प्रबंधन और प्रशासन के खिलाफ अजीबो-गरीब जंग।
प्राचार्य के कक्ष के दरवाजे पर साइन कर अपनी उपस्थिति दर्शाते रहे
नियमानुसार तय तारीख तक आदेश का पालन न होने पर आदेश डेड माना जाता है। ट्रांसफर के इस डेड आदेश को प्राचार्य मानने को तैयार नहीं थे। बरपाली के प्राचार्य ने तो उन्हें रिलीव कर दिया, लेकिन नए स्कूल में उन्हें ज्वाइनिंग देने से मना कर दिया गया। यादव फिर बरपाली स्कूल पहुंचे तो प्राचार्य ने न तो उन्हें रि-ज्वाइनिंग दी, न ही उपस्थिति पंजी में साइन करने दिया। यादव के लिए अजीब सी स्थिति हो गई। वे रोज बरपाली स्कूल जाते और प्राचार्य के कक्ष के दरवाजे पर साइन कर अपनी उपस्थिति दर्शाते। मौका मिलने पर वे क्लास में भी बच्चों को पढ़ाते।
रिटायरमेंट से 4 माह पूर्व मिली ज्वाइनिंग
विभाग ने न्याय नहीं किया तो यादव ने आखिरकार हाईकोर्ट में रिट दायर की। शासन ने 2 जनवरी 2016 को आदेश निकाला। इसमें यादव को बलौदा ब्लाक के बुड़गहन स्कूल में पदस्थ किया गया। यादव वहां पहुंचे तो प्राचार्य ने ज्वाइन ही नहीं कराया। हाईकोर्ट में यादव का केस जस्टिस संजय के. अग्रवाल के यहां चला। यादव इसी साल जून में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। हाईकोर्ट के 7 फरवरी को दिए आदेश के आधार पर डीपीआई एस प्रकाश ने उन्हें पूर्व आदेश के अनुसार ही बुड़गहन स्कूल में ज्वाइन कराने का निर्देश दिया है। डीपीआई ने उनकी निलंबन अवधि को कर्तव्य अवधि माना है। विभागीय जांच भी समाप्त कर दी गई।
ऐसे होती रही अजीबो-गरीब कार्रवाई
निलंबन-1. बरपाली के प्राचार्य को यादव का दरवाजे पर दस्तखत करना और क्लास लेना नागवार गुजरा और उन्होंने यादव को शासकीय कार्य में बाधा डालने के आरोप में निलंबित कर दिया।
निलंबन-2: यादव ने अपने विभाग से न्याय न मिलता देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाने की सोची। उन्होंने विभाग में अर्जी लगाकर अनुमति कि चाही कि वे पीएम से मिलना चाहते हैं। इस पर विभाग ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए उन्हें फिर निलंबित कर दिया। फिर बाद में बहाल भी करना पड़ा।
विभागीय जांच:संचालक शिक्षा ने यादव को आरोप पत्र जारी कर डीईओ के जरिए जवाब मांगा, लेकिन यादव ने नहीं दिया। उनके खिलाफ डीपीआई ने विभागीय जांच बिठा दी। यादव ने अपनी दलीलें पेश की।
Comment Now