फ्लोरिडा.यहां के हाईस्कूल में 14 फरवरी को हमले में 17 बच्चों की जान चली गई थी। हमले की तस्वीर और भी भयानक हो सकती थी अगर भारतीय मूल की शांति विश्वनाथन गजब की सूझ-बूझ न दिखातीं। शांति उस स्कूल में मैथ्स की टीचर हैं। जब स्कूल पर एक पूर्व स्टूडेंट ने हमला किया तो टीचर शांति ने क्लास के परदे खींच दिए थे और खिड़की को ढंक दिया था। साथ ही उन्होंने हमलावर की चाल काे नाकाम करते हुए किसी भी बच्चे को क्लासरूम से बाहर नहीं जाने दिया था। यहां तक की शक के चलते कमांडोज के आने पर भी उन्होंने गेट नहीं खोला।
दोबारा फायर अलार्म बजने पर शांति को हुआ था शक
- 14 फरवरी काे जब स्कूल पर हमला हुआ तो शांति रोज की तरह अपनी क्लास ले रही थीं। अचानक स्कूल का फायर अलार्म बजा। शांति कुछ सतर्क हुईं।
- इससे पहले वो बच्चों को लेकर बाहर निकलतीं, दोबारा फायर अलार्म बजा। इससे शांति को कुछ शक हुआ और उन्होंने बच्चों को क्लास में ही रुकने के लिए कहा। शांति का शक सही था। स्कूल में आग नहीं लगी थी, बल्कि हमला हुआ था।
- बता दें 19 साल के हमलावर निकोलस क्रूज ने ही फायर अलार्म बजाया था, ताकि हर क्लास के बच्चे बाहर आएं और वो उन्हें आसानी से निशाना बना सके।
हमलावर की नजर से क्लास के बच्चों को बचाया
- AR-15 असॉल्ट राइफल से चली गोलियों की आवाज सुनते ही शांति ने बच्चों को शांत रहने और फौरन फर्श पर लेट जाने के लिए कहा। शांति ने क्लासरूम के सारे परदे खींच दिए, ताकि बाहर से देखने पर लगे कि क्लासरूम बंद है और यहां कोई नहीं है। क्लास की एक खिड़की को उन्होंने अखबार के पन्ने से ढंक दिया। शांति की ये कोशिश काम आई और हमलावर की नजर से इस क्लास के बच्चे बच गए। कुछ ही देर में स्वैट कमांडो की टीम भी स्कूल पहुंच गई और हमला करने वाले पूर्व स्टूडेंट को पकड़ लिया।
कमांडो के लिए भी गेट नहीं खोला
- पूरे स्कूल की तलाशी लेते हुए कमांडो शांति की क्लास तक भी पहुंचे। उन्होंने दरवाजा खटखटाया, लेकिन शांति ने स्वैट टीम के लिए भी दरवाजा नहीं खोला। कमांडो ने बाहर से कहा कि वो स्वैट टीम से है और बच्चों को स्कूल से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए आया है।
- दरअसल शांति को शक था कि हमलावर कमांडो का नाम लेकर दरवाजा खोलने की कोशिश कर सकता है। इसलिए उन्होंने कमांडो से साफ कह दिया, "दरवाजा तो नहीं खुलेगा। अगर आप स्वैट टीम से हैं तो दरवाजा तोड़कर अंदर आ जाइए या क्लासरूम की चाबी लाकर दरवाजा खोल लीजिए।" आखिरकार स्वैट टीम ने चाबी लाकर दरवाजा खोला और शांति और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला।
फ्लोरिडा के लोगों ने शांति को दिया ‘ब्रेव लेडी’ का नाम
- शांति की बहादुरी का किस्सा उनके एक स्टूडेंट की मां डॉन जर्बो ने फ्लोरिडा की लोकल मीडिया को बताया। जर्बो ने कहा, "बच्चों का मारा जाना यकीनन दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हम टीचर शांति के शुक्रगुजार भी हैं। उनकी फुर्ती और समझदारी की वजह से कई अन्य बच्चों की जिंदगी बच गई।" स्कूल मैनेजमेंट भी शांति की बहादुरी का किस्सा लोकल मीडिया से साझा कर रहा है। फ्लोरिडा के लोगों ने शांति को ‘ब्रेव लेडी’ का नाम दिया है।
- बता दें फ्लोरिडा में करीब 25 हजार भारतीय हैं। इनमें से 20 हजार से ज्यादा भारतवंशी तो ब्रोवार्ड काउंटी में ही रहते हैं, जहां ये स्कूल है। हालांकि, हमले में मारे गए बच्चों में कोई स्टूडेंट भारतवंशी नहीं था।
Comment Now