अगरतला.त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव में इस बार 60 में से 59 सीटों पर रविवार वोटिंग हो रही है। एक सीट पर सीपीएम कैंडिडेट के निधन के चलते 12 मार्च को मतदान होगा। राज्य में 25 साल से लेफ्ट (सीपीएम) सत्ता पर काबिज है, लेकिन इस बार उसे बीजेपी से टक्कर मिल सकती है। नतीजे 3 मार्च को आएंगे। बता दें कि पिछले इलेक्शन में त्रिपुरा विधानसभा में सीपीएम को 49, कांग्रेस को 10 सीटें मिली थीं। बीजेपी खाता भी नहीं खोल पाई थी और पार्टी के 49 कैंडिडेट्स की जमानत जब्त हो गई थी।
मोदी ने की अपील
- मोदी ने ट्वीट करके कहा, "मैं त्रिपुरा के भाइयो-बहनों खासकर युवा वोटरों से अपील करता हूं कि रिकॉर्ड संख्या में वोटिंग करें।"
I appeal to my sisters and brothers of Tripura, particularly young voters, to turnout in record numbers and cast their vote in the Assembly Elections, tweets PM Modi #TripuraElection2018
3 हजार से ज्यादा बूथ पर डाले जा रहे वोट
- रविवार को सुबह 7 से शाम 4 बजे तक 56 सीटों के 3,214 पोलिंग बूथ पर वोट डाले जाएंगे।
- चारिलम सीट पर सीपीएम कैंडिडेट रामेंद्र नारायण देब बर्मा का 13 फरवरी को निधन हो गया है। इसके चलते यहां 12 मार्च को वोटिंग होगी।
कितने कैंडिडेट मैदान में?
- 60 सीटों के लिए कुल 307 कैंडिडेट चुनाव लड़ रहे हैं।
- सीपीएम पर 57 और लेफ्ट फ्रंट 3 सीटों पर।
- बीजेपी 51 सीटों पर औैर सहयोगी पार्टी आईपीएफटी 9 पर मैदान में है।
- कांग्रेस 59 सीट पर चुनाव लड़ रही है। एक सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारा।
- टीएमसी ने चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली। उसके 25 कैंडिडेट हैं।
त्रिपुरा में कैसा है जातिगत समीकरण?
- त्रिपुरा के चुनाव में इस बार 25,73,413 लोग वोट करेंगे। इनमें 13,05,375 पुरुष, 12,68,027 महिलाएं और 11 थर्ड जेंडर हैं।
- 47,803 वोटर पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
- जातिगत समीकरण के लिहाज से 70% वोटर बंगाली और अन्य, 30% वोटर आदिवासी (शेड्यूल ट्राइब) हैं।
आदिवासियों के लिए 20 सीट रिजर्व
- विधानसभा की कुल 30 सीटें आरक्षित हैं। 20 अनूसूचित जनजाति (एससी), 10 अनूसूचित जाति (एससी) और 30 सामान्य सीटें हैं।
- 20 सीटों पर आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। यहां आरएसएस सक्रिय रहा, पिछले 4 साल में इनके बीच बीजेपी का जनाधार बढ़ा।
वोटिंग में महिलाएं यहां पुरुषों से आगे
- पिछले दो विधानसभा चुनाव में महिलाएं राज्य में वोटिंग के मामले में पुरुषों से आगे रही हैं।
- 2013 में कुल 91.82% वोटिंग हुई। महिलाओं की वोटिंग 92.94%, जबकि पुरुषों की वोटिंग 90.73% रही थी।
- 2008 में कुल 91.22% वोटिंग हुई थी। इसमें पुरुषों की वोटिंग 90.74% और महिलाओं की 91.72% रही थी।
- त्रिपुरा में पिछले 5 चुनावों में हर बार 78% से ज्यादा वोट पड़े। सबसे ज्यादा 91% वोटिंग पिछले चुनाव में हुई थी।
कैसे हैं सुरक्षा के इंतजाम?
- चुनाव आयोग ने इलेक्शन ड्यूटी में लगीं सिक्युरिटी फोर्सेस के बीच को-ऑर्डिनेशन के लिए आईटीबीपी के डीजी आरके पचनंदा को स्पेशल ऑब्जर्वर बनाया।
- डीजीपी अखिल कुमार शुक्ला ने शनिवार को बताया कि राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सिक्युरिटी के कड़े इंतजाम किए हैं। इसके लिए त्रिपुरा पुलिस के साथ पैरा मिलिट्री की 300 कंपनियां तैनात की गई।
- इसके अलावा बीएसएफ भी 856 किलोमीटर लंबी बांग्लादेश सीमा पर कड़ी नजर रख रही है।
20 साल से सीएम हैं माणिक सरकार
- त्रिपुरा में पिछले 20 साल से माणिक सरकार मुख्यमंत्री हैं। जनता के बीच उनकी छवि साफ-सुथरी रही है।
- बीजेपी ने सीएम कैंडिडेट के लिए किसी के नाम का एलान नहीं किया।
इस बार टीएमसी और कांग्रेस हाशिए पर
- पिछले 5 विधानसभा चुनावों में सीपीएम को चुनौती देने वाली कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इस बार हाशिए पर हैं। बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है।
- तृणमूल के 6 विधायक चुनाव से पहले ही बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसलिए पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने त्रिपुरा चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली।
इस बार ये रहे चुनावी मुद्दे
- बेरोजगारी, ट्रांसपोर्ट्स, इंडस्ट्री की कमी, भ्रष्टाचार।
- रोज वैली चिट फंड घोटाला, सरकार की हिंदू विरोधी नीति।
कैसा रहा बीजेपा का प्रचार?
- त्रिपुरा में बीजेपी ने चुनाव प्रचार में काफी जोर लगाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 4 रैली कीं।
- इसके अलावा पार्टी चीफ अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रैलियां और रोड शो किए।
सीपीएम का प्रचार कैसा रहा?
- मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने सीपीएम के इलेक्शन कैम्पेन की बागडोर संभाली। राज्य में करीब 50 रैलियां कीं।
- लेफ्ट के दूसरे नेताओं जैसे- सीताराम येचुरी, बृंदा करात और अन्य बड़े नेताओं भी प्रचार में जुटे थे।
कैसा रहा कांग्रेस का प्रचार?
- कांग्रेस ने चुनाव प्रचार में ज्यादा जोर नहीं लगाया। कैम्पेन के आखिरी दिन कांग्रेस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने कैलाशहर में रैली की।
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