Thursday, 22nd May 2025

पुराने दफ्तर से चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी कर रही तैयारी, हो रहा रिनोवेशन

Sat, Feb 17, 2018 8:24 PM

चुनावी तैयारियों जोर-शोर से शुरु हो गईं हैं। बीजेपी ने रजबंधा मैदान स्थित अपने पुराने दफ्तर को संवारना शुरु कर दिया है।

 

रायपुर। छत्तीसगढ़ में चुनावी तैयारियों जोर-शोर से शुरु हो गईं हैं। बीजेपी ने रजबंधा मैदान स्थित अपने पुराने दफ्तर को संवारना शुरु कर दिया है। विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि बीजेपी यहीं से चुनाव लड़ने की तैयारी में है। हालांकि चुनाव के दौरान नए दफ्तर का भी इस्तेमाल होगा। दरअसल वर्ष 2013 के चुनाव में सफलता के बाद कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में नया दफ्तर बनाया गया था।पुराने दफ्तर से चुनाव लड़ने की ये है वजह...

 

- अभी तक पार्टी को पुराने दफ्तर से ही लगातार सफलता मिल रही थी। वर्ष 2013 के चुनाव के बाद नया दफ्तर कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में बनाया गया।
- कुछ दिक्कतें समाने आईं तो पता चला कि दफ्तर के मुख्य द्वार पर ही वास्तुदोष है। ऐसे में उस द्वार को बंद कर दूसरा गेट बनाया गया।
- पूरे कार्यकाल में सारी गतिविधियां वहीं से ऑपरेट होती रहीं। वहीं चुनाव करीब आने के बाद पार्टी को ऐसा लग रहा है कि रजबंधा मैदान स्थित दफ्तर लकी है।

- विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि चुनाव के दौरान पुराने दफ्तर से ही गतिविधियां ऑपरेट होंगी। वहीं नए दफ्तर को भी काम में लिया जाएगा।

- ऐसे में पार्टी ने यहां मोडिफिकेशन का काम कराना शुरु कर दिया है।

- पुराने दफ्तर में ग्लास लगाने का काम चल रहा है ताकि गुप्त बैठकों के दौरान आवाज बाहर न आ सके।
- इसके अलावा रिनोवेशन का काम भी चल रहा है।

7 करोड़ की लागत से बना है नया दफ्तर

- कुशाभाऊ ठाकरे परिसर डूमरतराई में बीजेपी का ये नया दफ्तर करीब 7 करोड़ की लागत से बनाया गया है।

- यहां वाइफाई, मिनी थिएटर, हाईटेक मीटिंग रुम समेत ठहरने के लिए लग्जीरियस कमरे हैं।

- इस दफ्तर की शुरुआत पार्टी ने 25 सितंबर 2014 में नवरात्रि में मां दुर्गा की स्थापना करके की थी।

- चूंकि यहां वास्तुदोष के चलते बीजेपी के काम सध नहीं रहे थे।

- इस कारण सारा कामकाज रजबंधा मैदान स्थित पुराने कार्यालय एकात्म परिसर से ही हो रहा था।

- वास्तुविदों की सलाह पर कार्यालय का मेन गेट बदल दिया गया। फिर नवरात्रि में पूजा-पाठ के साथ इस कार्यालय में पदार्पण की तैयारी की गई।

- इसके बाद से पुराने दफ्तर का इस्तेमाल पार्टी के संभागीय कार्यालय की तरह किया जा रहा था।

- इसके ग्राउंड फ्लोर पर ग्रामीण जिले के पदाधिकारी, प्रथम तल पर शहर जिले के पदाधिकारी और सेकेंड फ्लोर पर संभागीय स्तर के पदाधिकारी की बैठकें होती हैं।

यूं मिला था प्रदेश कार्यालय का दर्जा

- जब इसका निर्माण हुआ तब यह संभागीय कार्यालय ही था।

- राज्य बनने पर 2000 में इसे प्रदेश कार्यालय का दर्जा मिल गया।

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