Saturday, 24th May 2025

रूहानी-मोदी की मौजूदगी में भारत-ईरान की बातचीत शुरू, चाबहार पोर्ट पर अहम फैसले की उम्मीद

Sat, Feb 17, 2018 7:59 PM

नई दिल्ली. ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में यहां के हैदराबाद हाउस में दोनों देशों के बीच डेलिगेशन लेवल की बातचीत शुरू हो गई है। दोनों देशों के बीच शनिवार को कई करार होंगे। ईरान चाबहार बंदरगाह को लेकर भी कोई अहम फैसला हो सकता है। इससे पहले रूहानी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी मिले। राष्ट्रपति भवन में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उन्होंने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी दी।

 

पारसी कम्युनिटी से भी मिलेंगे रूहानी
- रूहानी शनिवार को एक बिजनेस इवेंट को भी एड्रेस करेंगे। शाम को रूहानी पारसी कम्युनिटी से मिलेंगे। देर रात वे अपने देश रवाना हो जाएंगे।

चाबहार होगा ट्रांजिट रूट
- रूहानी शुक्रवार को हैदराबाद की मक्का मस्जिद में नमाज अदा करने पहुचे थे। इसके बाद उन्होंने कहा था कि ईरान का चाबहार बंदरगाह भारत के लिए (पाकिस्तान से गुजरे बगैर) ईरान और अफगानिस्तान, मध्य एशियाई देशों के साथ यूरोप तक ट्रांजिट रूट खोलेगा।

ईरान भारत के साथ तेल साझा करने को तैयार
- उन्होंने यह भी कहा कि ईरान तेल और नेचुरल गैस रिसोर्स के मामले में अमीर है। इसलिए वह भारत की तरक्की के लिए अपने नेचुरल रिसोर्सेज साझा करने को तैयार है।
- इसके अलावा रूहानी ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए वीजा नियमों में ढील देने की भी मंशा जाहिर की।


भारत को ईरान की जरूरत क्यों?
इसको तीन प्वॉइंट में समझा जा सकता है...

A: भारत को सस्ते ऑयल और गैस के लिए पश्चिम एशिया की जरूरत है। ईरान समेत इस रीजन के बाकी देश इस सच्चाई को जानते हैं। अमेरिका अब अपनी जरूरतों के लिए इन मुल्कों का मोहताज नहीं रहा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। एनर्जी सेक्टर में दोनों देश मिलकर बड़ी कामयाबी हासिल कर सकते हैं। 
B: चाबहार पोर्ट दोनों देशों का प्रोजेक्ट है। कुछ हद तक शुरू हो चुका है। यहां से बिना पाकिस्तान जाए अफगानिस्तान और आगे के मुल्कों तक सामान सप्लाई किया जा सकता है। दोनों ही देश चाहते हैं कि चाबहार का काम तय वक्त से पहले पूरा किया जाए। ईरान में इससे रोजगार बढ़ेगा। रूहानी इस पर भारत की मदद चाहेंगे। 
C: ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि रूस, पाकिस्तान और कुछ हद तक ईरान भी अफगान तालिबान को मदद करते हैं। अफगानिस्तान में भारत की बड़ी मौजूदगी है। तालिबान अफगान सरकार और अमेरिका के लिए खतरा है। रूहानी पर भारत दबाव डाल सकता है कि वो तालिबान और दूसरे आतंकी संगठनों पर सख्ती दिखाएं।

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