भोपाल। जावेद भाई की धर्म नगरी, जी हां यही नाम है उस वर्कशॉप का जहां एक मुस्लिम परिवार शिवालयों और दूसरे मंदिरों की सजावट की तैयारी करते हैं। जावेद की तीन पीढ़ियां यही काम करती आई हैं और कभी भी उनका धर्म इस काम में आड़े नहीं है आया। कई राज्यों के सैकड़ों मंदिरों में जावेद के बनाए कलश और जलहरियां जगमगा रही हैं।
मंदिर में हो जाती है नमाज
जावेद बताते हैं मैं बचपन से पिताजी के साथ रहकर काम कर रहा हूं कभी कोई धार्मिक अड़चन सामने नहीं आई कई बार खुद पुजारियों ने हमारे लिए नमाज की जगह साफ करके दी है। देश के लगभग सभी राज्यों में हमने काम किया है। हमारे दादा नवाब खां इंदौर में यही काम किया करते थे। उनसे ही सीख कर पिता जफर उस्ताद बने और अब मैं और छोटा भाई जाकिर इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। हमने हमारे कारखाने का नाम ही धार्मिक नगरी रख दिया है। हमने शिव मंदिरों के लिए हजारो जलहरियां और अनगिनत कलश बनाकर खुद ही लगाए हैं।
सैकड़ों मंदिर में किया काम
जावेद इन दिनों भोपाल के रचना नगर स्थित शिवमंदिर में कलश और जलहरी के साथ ही पूरे मंदिर में पीतल का काम कर रहे हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव के शिव मंदिर में कलश, मुंबई अंधेरी ईस्ट पिपलेश्वर मंदिर, पुणे के खराणी का शिव मंदिर, पंजा के पटियाला का शिव मंदिर,विदिशा का लक्ष्मीनारायण मंदिर, भोपाल के बान गंगा स्थित पीतल का माता मंदिर आदी में गर्भग्रह, जलहरियां, भगवान के आसन और कलश बना कर लगाए हैं । पिछले 40 सालो में कितने ही मंदिरों में काम किया है पर कभी धर्म आड़े नही आया। जावेद भाई की खासियत किसी भी डिजाइन को हूबहू मंदिर में उतार देने की है।
हाफिज साहब ने बनाए रथ के पहिए
राजधानी भोपाल के सबसे प्राचीन मंदिरों में शामिल बड़ वाला महादेव मंदिर इस शिवरात्री 37 वीं शिव बारात का आयोजन कर रहा है। बारात का मुख्य आकर्षण है रथ जो लगभग 50 क्विंटल वजनी है जिसे भक्त अपने हाथों से खींचते हैं। पुराने हो चुके रथ में इस बार चारों चक्के नए बनाए गए हैं। इसके लिए भोपाल के उस्ताद कारपेंटर हाफिज रईस साहब ने इसमें सागौन की लकड़ी से ताने और घिर्रियां तैयार की हैं। इसके कारीगर अब बिरले ही बचे हैं। हाफिज के कहते उन्होंने कई मंदिरों में काम किया है और मजहब इसमें कभी आड़े नहीं आते।
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