Saturday, 24th May 2025

सरोगेसी के जरिए मां बनने वाली महिलाओं को भी मिलेगी 26 हफ्तों की मैटरनिटी लीव, ऑर्डर जारी

Fri, Feb 9, 2018 6:55 PM

नई दिल्ली.सरोगेसी के जरिए मां बनने वाली केंद्र सरकार की महिला इम्प्लॉई को भी 26 हफ्तों की मैटरनिटी लीव मिलेगी। पर्सनल मिनिस्ट्री के ऑफिशियल ऑर्डर सभी केंद्र सरकार के विभागों को इस बात की जानकारी दी गई। ऑर्डर में इस मसले पर दिल्ली हाईकोर्ट के 2015 में दिए फैसले का भी जिक्र किया गया। बता दें कि मार्च 2017 में मैटरनिटी लीव पर संशोधित बिल संसद में पास किया गया था। इसमें प्रेग्नेंट महिलाओं को 26 हफ्तों की छुट्टी देने का प्रावधान था, जो कि पहले 12 हफ्ते थी।

 

Q&A में समझें फैसला?

मैटरनिटी लीव पर क्या ऑर्डर दिया मिनिस्ट्री ने?
- पर्सनल मिनिस्ट्री ने ऑर्डर मेें लिखा, "सभी मंत्रालय और विभागों को सलाह दी जाती है कि इस फैसले के बारे में संबंधित अफसरों को डिटेल में जानकारी दें।" फैसले के साथ हाईकोर्ट के ऑर्डर की कॉपी भी दी है।

हाईकोर्ट ने क्या ऑर्डर दिया था?
- 2015 में दिल्ली HC में केंद्रीय विद्यालय की एक टीचर ने पिटीशन दायर की थी। महिला सरोगेसी के जरिए जुड़वां बच्चों की मां बनी थी, लेकिन उसे ये कहकर मैटरनिटी लीव नहीं दी गई कि वो बच्चों के बायोलॉजिकल मां नहीं है। 
- कोर्ट ने कहा था, "महिला इम्प्लॉई जो मां बनने की शुरुआत कर रही है, वो मैटरनिटी लीव अप्लाई करने की हकदार है। सरोगेसी के जरिए मां बनने का रास्ता चुनने वाली महिला को कब और कितनी छुट्टी दी जाएगी इसका फैसला सक्षम अधिकारी करेगा।"

मैटरनिटी लीव देने वाले देशों में किस नंबर पर है भारत?
- अब भारत सबसे ज्यादा मैटरनिटी लीव देने वाले देशों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है। पहले नंबर पर कनाडा में 55 और नार्वे में 44 हफ्ते की छुट्टी प्रेग्नेंसी के दौरान दी जाती है।
- बता दें कि मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट, 1961 के मुताबिक, देश की हर कामकाजी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे की देखरेख के लिए छुट्टी मिलती है। इन दौरान उसे पूरी सैलरी देने का नियम है।

मैटरनिटी लीव का फायदा कितनी इम्प्लॉई उठा रही हैं?
- मैटरनिटी लीव पहले दो बच्चों के लिए दी जाती है। तीसरे या इससे ज्यादा बच्चों के लिए नए नियमों का फायदा नहीं मिलेगा। देश में 18 लाख वर्किंग वुमंस हैं, जो मैटरनिटी लीव का फयादा उठा सकती हैं। मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट के नियम नहीं मानने पर इम्प्लाॅयर्स को 3 से 6 महीने की सजा और पांच हजार रुपए का जुर्माना हो सकता है।

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