Saturday, 24th May 2025

अयोध्या विवाद: वकील ने कहा- यह लोगों की भावनाओं से जुड़ा मामला, CJI बोले- एेसी दलीलें मुझे पसंद नहीं, सिर्फ भूमि विवाद

Fri, Feb 9, 2018 6:46 PM

नई दिल्ली.दस्तावेजों का ट्रांसलेशन नहीं होने की वजह से गुरुवार को तीसरी बार सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई टालनी पड़ी। कोर्ट ने अब वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस और गीता सहित 20 धार्मिक पुस्तकों से इस्तेमाल किए तथ्यों का अंग्रेजी में ट्रांसलेशन करवाने का आदेश दिया है। यूपी सरकार को 2 हफ्ते में ट्रांसलेशन सभी पक्षकारों को देना होगा। अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि अयोध्या विवाद को धार्मिक नजरिये से नहीं, बल्कि सिर्फ भूमि विवाद के तौर पर ही देखा जाएगा। सीजेआई दीपक मिश्रा समेत तीन जजों की स्पेशल बेंच के सामने सुनवाई शुरू होते ही पिटीशनर्स के वकील ने कहा कि अयोध्या विवाद लोगों की भावनाओं से जुड़ा है। इस पर चीफ जस्टिस बोले- एेसी दलीलें मुझे पसंद नहीं, यह सिर्फ भूमि विवाद है।

 

सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही LIVE

- चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अब्दुल नजीर और अशोक भूषण की स्पेशल बेंच ने गुरुवार दोपहर 2 बजे सुनवाई शुरू की।

- तुषार मेहता (एएसजी): दस्तावेज बहुत ज्यादा हैं, कोर्ट सिर्फ मुख्य पक्षकारों को ही दस्तावेज दायर करने दे।

- एजाज मकबूल (बाबरी के पक्षकार):रामायण, रामचरितमानस और गीता जैसी धार्मिक पुस्तकों का अनुवाद नहीं हुआ है। वीडियो के ट्रांसक्रिप्ट का ट्रांसलेशन भी हमें दिया जाए। 
- चीफ जस्टिस: जो तथ्य सबूत के तौर पर इस्तेमाल हुए हों, उनका और किताबों के पहले पेज का यूपी सरकार ट्रांसलेशन करवाए। 
-राजीव धवन:लोग न्याय के लिए चिंतित हैं। कोर्ट प्रतिदिन सुनवाई करे। 
- चीफ जस्टिस: इस पर अभी फैसला नहीं ले रहे। सुनवाई शुरू होने पर विचार करेंगे। 
- राजीव धवन:मामला बेहद जटिल है और रेग्यूलर सुनवाई होनी चाहिए। आपने पहले भी कहा था कि रोजाना सुनवाई करेंगे। 
- चीफ जस्टिस:हमने कभी ऐसा नहीं कहा। आपको गलतफहमी हुई है। हमारे पास 700 केस पेंडिंग हैं, जिसमें लोग इंसाफ के लिए गुहार लगा रहे है। हमें हर केस की चिंता है। हर केस के लिए रोज कम से कम डेढ़ से 2 घंटे सुनवाई की जरूरत है। 
- राजीव धवन: इसे साधारण केस की तरह न लें। मेरे पास लाइसेंस है और मैं इसका इस्तेमाल कर जिरह करने जा रहा हूं। कोई मुझे यह नहीं बता सकता कि मुझे मेरे केस में कैसे बहस करनी है। 
- चीफ जस्टिस: हमने सिर्फ यह कहा है कि आपकी मांग पर विचार करेंगे। कुछ लोगों की अपनी सोच होती है। इनसे पूर्वानुमान पैदा होने लगता है। पूर्वानुमान असत्य की ओर बढ़ता है। यह खतरे को दावत देना है। कभी-कभी इससे अपराध बोध भी पैदा होता है। 
- राजीव धवन:अगर मैं गलत समझा हूं तो माफी चाहता हूं। आपका एक्सपीरियंस भी तो बहुत ज्यादा है। आपने पहले कहा था कि रोज सुनवाई करेंगे। 
- चीफ जस्टिस:ऐसा कभी नहीं कहा, आपको गलतफहमी।

पहले मुख्य पक्षकारों की दलीलें सुनी जाएंगी

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबसे पहले मुख्‍य पक्षकारों की दलीलें सुनी जाएंगी, बाद में बाकी पिटीशंस पर सुनवाई होगी।

अयोध्या मामले में तीन पक्षकार
1. सुुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड 
2. राम लला विराजमान 
3. निर्मोही अखाड़ा

- इन तीन मुख्य पक्षकारों के अलावा एक दर्जन अन्य पक्षकार भी हैं। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने विवादित बाबरी ढांचे को ढहा दिया था।

लोकसभा चुनाव तक सुनवाई टालने की अपील की गई थी

- पिछली सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से इस केस की सुनवाई लोकसभा चुनाव तक टालने की मांग की थी।

- उन्होंने कहा, "कृपया होने वाले असर को ध्यान में रखकर इस मामले की सुनवाई कीजिए। कृपया इसकी सुनवाई जुलाई 2019 में की जाए, हम यकीन दिलाते हैं कि हम किसी भी तरह से इसे और आगे नहीं बढ़ने देंगे। केवल न्याय ही नहीं होना चाहिए, बल्कि ऐसा दिखना भी चाहिए।"

- इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "ये किस तरह की पेशकश है? आप कह रहे हैं जुलाई 2019। क्या इससे पहले मामले की सुनवाई नहीं हो सकती?"

पक्षकारों को 50 सुनवाई में फैसला आने की उम्मीद

- राम मंदिर के समर्थन में आए पक्षकारों का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 90 सुनवाई में ही फैसला दे दिया था। पक्षकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट 50 सुनवाई में फैसला दे सकता है।

- हालांकि बाबरी मस्जिद से जुड़े पक्षकार ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि केस में दस्तावेजों का अंबार हैं, उन सभी पर प्वाइंट टू प्वाइंट दलीलें रखी जाएंगी। हिंदू महासभा के वकील विष्णु शंकर जैन नेे बताया कि केस में 7 भाषाओं हिंदी, उर्दू, पाली, संस्कृत, अरबी आदि के ट्रांसलेटेड डॉक्युमेंट्स जमा हो चुके हैं।

HC ने विवादित जमीन 3 हिस्सों बांटने का दिया था ऑर्डर

- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में विवादित 2.77 एकड़ जमीन 3 बराबर हिस्सों में बांटने का ऑर्डर दिया था। अदालत ने रामलला की मूर्ति वाली जगह रामलला विराजमान को दी। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को और बाकी हिस्सा मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया था।

शिया बोर्ड का कौन सा प्रपोजल SC रिकॉर्ड में आया?

- मुस्लिमों के एक गुट ने उत्तर प्रदेश के शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बैनर तले कोर्ट में एक मसौदा पेश किया था। इस मसौदे के मुताबिक, विवादित जगह पर राम मंदिर बनाया जाए और मस्जिद लखनऊ में बनाई जाए। इस मस्जिद का नाम राजा या शासक के नाम पर रखने के बजाए मस्जिद-ए-अमन रखा जाए।

कोर्ट ने 7 लैंग्वेज में ट्रांसलेशन कराने को कहा था

- बता दें कि कोर्ट ने 11 अगस्त को 7 लैंग्वेज के डॉक्युमेंट्स का ट्रांसलेशन करवाने को कहा था। 6 दिसंबर को सुनवाई तय की थी, लेकिन उस वक्त तक ट्रांसलेशन का काम पूरा नहीं हो पाया था, इसलिए कोर्ट ने तारीख 8 फरवरी तक बढ़ा दी थी। तब कुल 19,590 पेज में से सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के हिस्से के 3,260 पेज जमा नहीं हुए थे।

अभी कितने जजों की बेंच सुनवाई कर रही है?

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा: 3 तलाक खत्म करने और सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने जैसे फैसले सुना चुके हैं।

जस्टिस अब्दुल नाजिर: तीन तलाक बेंच में थे। प्रथा में दखल गलत बताया था। प्राइवेसी को फंडामेंटल राइट करार दिया था।

जस्टिस अशोक भूषण: दिल्ली सरकार और एलजी के बीच जारी अधिकारों की जंग के विवाद पर सुनवाई कर रहे हैं।

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