भोपाल। खजाने की खस्ता हालत के बावजूद सरकार चुनावी साल में कर्मचारियों को साधने के लिए खजाने का मुंह खोलने से पीछे नहीं हटेगी। अध्यापकों को वेतनमान देने के बाद पंचायत सचिवों को छठवां वेतनमान देकर सरकार ने इसके संकेत भी दे दिए हैं।
मंत्रालयीन अधिकारी-कर्मचारी, लिपिक वर्ग, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी, संविदा कर्मचारी, अतिथि विद्वान सहित अन्य कर्मचारियों की मांगों के समाधान पर मंथन तेज हो गया है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी जमावट शुरू कर दी है। इसके तहत एक-एक कर सभी नाराज वर्गों को सरकार के पाले में लाने की रणनीति पर मुख्यमंत्री सचिवालय काम कर रहा है।
सर्वेयर के बराबर मिलेगा वेतन
सूत्रों का कहना है कि कृषि कर्मण पुरस्कार हो या फिर भावांतर भुगतान योजना, इनके सफल क्रियान्वयन में विभागीय कर्मचारियों का बड़ा योगदान रहा है। वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी लंबे समय से वेतन विसंगति को दूर करने की मांग उठा रहे हैं। इन्होंने सरकार को एक बार फिर आंदोलन जैसे कदम उठाने की चेतावनी पिछले पखवाड़े दी थी, लेकिन उच्च स्तरीय चर्चा के बाद आगे बढ़ते कदम को थाम लिया। बताया जा रहा है कि इन्हें सर्वेयर के समान वेतन देने पर सहमति बन गई है।
संविदा का कोटा हो सकता है तय
करीब ढाई लाख संविदा कर्मचारी इन दिनों नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलित हैं। मुख्यमंत्री के साथ दो दौर की चर्चा हो चुकी है पर निर्णय अभी नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि इनके लिए रिक्त पदों की भर्ती में अनुभव के आधार पर कोटा तय हो सकता है।
अतिथि विद्वानों को भी इसी तरह संविदा शिक्षक की भर्ती में 25 प्रतिशत का कोटा दिया गया है। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी की भर्ती में भी कृषि विभाग के संविदा कर्मचारियों को अधिकतम दस बोनस अंक देने का फैसला सरकार कर चुकी है। मंत्रालयीन कर्मचारियों को साधने के लिए अनुभाग अधिकारी और निज सचिवों की वेतन विसंगति के साथ लिपिक वर्ग की समस्याओं को दूर करने का भरोसा मुख्यमंत्री स्वयं दिला चुके हैं।
सत्ता विरोधी लहर की चिंता
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने एक फार्मूला तय कर लिया है कि सत्ता विरोधी लहर को हवा नहीं मिलने दी जाएगी। यही वजह है कि हर चुनाव सरकार पूरी संजीदगी से लड़ती है और जो वर्ग नाराज हैं, उन्हें मनाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। दरअसल, सरकार में बैठे लोगों का यह मानना है कि कर्मचारी वर्ग के लिए जितने कदम शिवराज सरकार ने उठाए हैं, उतने अन्य किसी भी सरकार ने नहीं उठाए।
इसके बावजूद यदि कर्मचारी वर्ग नाराज होता है और सरकार की मुखालफत करता है तो उसकी जड़ में जाकर समस्या को दूर किया जाए। इसमें खजाना कहीं आड़े नहीं आने दिया जाएगा। इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं वित्त मंत्री जयंत मलैया और अपर मुख्य सचिव वित्त एपी श्रीवास्तव के सीधे संपर्क में हैं। यही वजह है कि अध्यापकों को छठवां वेतनमान देना हो या फिर अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन या पंचायत सचिवों को छठवां वेतनमान देना, सब फैसले एक झटके में लिए गए।
सीधी बात: रमेशचंद्र शर्मा, अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी कल्याण समिति
सवाल- चुनाव नजदीक आते ही सरकार को कर्मचारियों की चिंता सताने लगी?
जवाब- हमारे यहां दुर्भाग्य से हर छह माह में चुनाव होते हैं। ऐसा होता तो कर्मचारियों को सातवां वेतनमान इतने पहले से क्यों देते। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण, आकस्मिकता निधि के कर्मचारियों को समयमान-वेतनमान, अध्यापकों को वेतनमान, क्रमोन्न्ति जैसे फैसले तो काफी पहले लिए गए हैं।
सवाल- अध्यापक और पंचायत सचिवों को लेकर फैसले तो अभी हुए पर मांगें काफी पुरानी हैं।
जवाब- अध्यापकों को छठवां वेतनमान काफी पहले दिया जा चुका है। पंचायत सचिवों को सिर्फ वेतनमान अभी दिया है। अनुकंपा नियुक्ति का फैसला तो पहले हो गया था, बस लाभ दिए जाने की तारीख में बदलाव हुआ है।
सवाल- संविदा कर्मचारी, अतिथि विद्वान नाराज चल रहे हैं।
जवाब- संविदा कर्मचारियों को लेकर भी मुख्यमंत्री से चर्चा हुई है। अलग वेतन सुविधा, रिक्त पदों के ऊपर कोटा हो जाए, इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। अतिथि विद्वानों को अनुभव के आधार पर 25 प्रतिशत पदों का कोटा भर्ती में दे रहे हैं।
सवाल- सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने पर विचार हो रहा है?
जबाव- कई कर्मचारी संगठनों के सुझाव आते हैं। इस बारे में भी आया था। हमने उसे आगे बढ़ा दिया है। वैसे भी पदोन्नति के पद खाली होते जा रहे हैं। यदि ऐसा होता है तो अनुभवी लोग मिल जाएंगे।
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