Saturday, 24th May 2025

'फ्रेंच' से जर्मन, स्पेनिश और रशियन की ओर शिफ्ट हो रहे 'इंदौरी' स्टूडेंट

Tue, Feb 6, 2018 7:38 PM

इंदौर । महज दो साल पहले तक अंग्रेजी के बाद विदेशी भाषा के नाम पर ज्यादातर लोग फ्रेंच ही सीखना चाहते थे, मगर वैश्विक स्तर पर हो रहे बदलावों के चलते विदेशी भाषाओं के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बदल रहा है। फेवरेट लिस्ट में अब भी अंग्रेजी के बाद फ्रेंच का ही नंबर है, मगर अब उसे जर्मन और स्पेनिश जैसी भाषाओं से कड़ी टक्कर मिल रही है। इन दोनों भाषाओं को सीखने वाले स्टूडेंट्स की संख्या महज दो साल में ही दोगुनी हो गई है। रूसी भाषा भी उन्हें आकर्षित कर रही है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक विदेशी भाषाएं सीखने वालों में सबसे बड़ी संख्या उन लोगों की है, जो अपने फॉरेन क्लाइंट्स से बेहतर ढंग से डील करने के लिए उनकी लैंग्वेज सीखना चाहते हैं। दूसरे नंबर पर वो स्टूडेंट्स हैं, जो उन देशों में हायर स्टडी के लिए जाना चाहते हैं। इसके अलावा विदेशों में करियर बनाने वाले और नई लैंग्वेज सीखकर अपना ज्ञान बढ़ाने की मंशा रखने वाले इंदौरी भी बड़ी संख्या में विदेशी भाषाएं सीखना चाह रहे हैं।

सिलिकॉन वैली में प्रचलित है स्पेनिश

फॉरेन लैंग्वेज एक्सपर्ट हीरेंद्र बागची कहते हैं कि अमेरिकी सिलिकॉन सिटी का बड़ा हिस्सा उत्तरी अमेरिका में आता है, जहां स्पेनिश भाषा प्रमुखता से बोली जाती है। ऐसे में सॉफ्टवेयर बिजनेस से जुड़े प्रोफेशनल्स को अंग्रेजी के बजाय स्पेनिश में बात करने से डील फाइनल करने में अधिक आसानी होती है। इसके अलावा स्पेनिश सीखने से स्पेन और उसके आसपास के देशों में भी जॉब और बिजनेस की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। उत्तरी अमेरिका में रह चुकी रुचि चोपड़ा कहती हैं कि उस क्षेत्र में स्पेनिश भाषा का जबरदस्त क्रेज है। पहले हमारे यहां की कंपनियों को इस सच्चाई के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी, मगर जैसे-जैसे लोग इस हकीकत से वाकिफ हो रहे हैं स्पेनिश के प्रति लोगों की जागरुकता और जिज्ञासा दोनों बढ़ रही है।

विदेश में पढ़ाई का खर्च आधा कर देती है 'जर्मन' भाषा

जहां सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री से जुड़े लोग स्पेनिश सीख रहे हैं, वहीं मैकेनिकल और ऑटोमोबाइल वाले स्पेनिश के बजाय जर्मन और जापानी भाषाओं को तरजीह दे रहे हैं। जर्मन भाषा की बढ़ती लोकप्रियता की एक वजह ये भी है कि जर्मनी में अमेरिका के मुकाबले पढ़ाई काफी सस्ती है। वहां इंटरनेशनल लेवल पर सिलेक्टेड स्टूडेंट्स की ट्यूशन फीस बहुत कम कर दी जाती है। कई मामलों में तो इसे पूरी तरह खत्म कर दिया जाता है।

जिससे अमेरिका के मुकाबले वहां अलग-अलग कोर्सों की कुल फीस लगभग आधी ही रह जाती है, इसलिए जर्मन भाषा की डिमांड बढ़ रही है। श्री बागची के मुताबिक जर्मन से संस्कृत का गहरा नाता है, क्योंकि उसमें संस्कृत भाषा के कई शब्द जस के तस इस्तेमाल किए जाते हैं। वहां भारतीय वेद-पुराणों पर हो रहे शोध के लिए भी बड़ी संख्या में दुभाषियों की जरूरत है, इसलिए जर्मन सीखने वालों की तादात में खासी तेजी से इजाफा हो रहा है।

एक तिहाई कम हुए 'फ्रेंच' सीखने वाले

जर्मन, स्पेनिश, चाइनीज और रूसी भाषा के बढ़ते दबदबे के बावजूद अंग्रेजी के बाद विदेशी भाषा के रूप में पहली पसंद फ्रेंच ही बनी हुई है। मगर तस्वीर का दूसरा पहलू ये है कि महज दो-तीन साल में ही इसे सीखने वालों की संख्या एक तिहाई कम हो गई है। ऐसे में एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि आने वाले दो-तीन सालों में जर्मन और स्पेनिश जैसी भाषाएं फ्रेंच को पछाड़ देंगी। इनके अलावा रशियन, चाइनीज, जापानी, इटालियन, कोरियन, अरेबिक जैसी भाषाएं भी शहर के स्टूडेंट्स के बीच अपनी गहरी पैठ बनाने में कामयाब रहेंगी। एक्सपर्ट अनीषा दासवानी के मुताबिक फिलहाल स्पेनिश भाषा की डिमांड शहर में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रही है।

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