भोपाल। प्रदेश में आखिरकार 31 मुख्य खनिजों को सरकार ने गौण खनिज में शामिल कर ही लिया। केंद्र सरकार ने 10 फरवरी 2015 को इन खनिजों को गौण खनिज में शामिल करने की अधिसूचना जारी कर राज्यों को अपने नियमों में संशोधन करने कहा था। इस बदलाव के न होने से करीब 100 खनिज पट्टे के मामले अटके हुए हैं।
इससे सरकार को 30 से 35 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय हो सकती है। पिछले सप्ताह हुई कैबिनेट बैठक में गौण खनिज की श्रेणी में 31 मुख्य खनिज को शामिल करने की मंजूरी मिल गई है। हालांकि इनमें से 17 खनिज प्रदेश में नहीं पाए जाते हैं। खनिज विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इन खनिजों के उत्खनन से जुड़े करीब 100 आवेदन लंबित हैं। अब गौण खनिज नियमों से आवेदनों का निराकरण करेंगे। सचिव खनिज मनोहर दुबे ने बताया कि जिन्होंने सब प्रक्रिया पूरी कर ली है, उन्हें खनन पट्टे दिए जाएंगे। नया आवेदन नहीं लेंगे, खदानें नीलामी से देंगे। इससे करीब 35 करोड़ रुपए तक राजस्व मिल सकता है।
ये होंगे अब गौण खनिज
अगेट, बॉल क्ले, बैराइट्स, कैल्केरियस सैंड, कैल्साइट, चॉक, चीनी मिट्टी, अन्य क्ले, कोरण्डम, डायस्पोर, डोलोमाइट, डयुनाइट अथवा पायरोसेनाइट, फेलसाइट, फेल्सपार, अग्निसह मृत्तिका, फुस्काइट क्वार्टजाइट,
जिप्सम, जस्पर, कयोलिन, लेटेराइट, चूना कंकड़, अभ्रक, ऑकर, पाइरोफाइलाइट, क्वार्टज, क्वार्टजाइट, बालू (अन्य) शेल, सिलिका बालू, स्लेट और स्टोटाइट अथवा टैल्क या सोपस्टोन।
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