बीजिंग. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने श्रीलंका के साथ स्ट्रैटजिक रिलेशन बढ़ाने पर जोर दिया है। श्रीलंका के 70वें स्वतंत्रता दिवस पर बधाई देते हुए शी ने रविवार को कहा कि चीन दोनों देशों के बीच कूटनीतिक सहयोग बढ़ाना चाहता है। शी ने कहा, "श्रीलंका ने मैरीटाइम सिल्क रोड के कंस्ट्रक्शन में सहयोग दिखाकर दोनों देशों को फायदा देने वाले नतीजे हासिल कर लिए हैं।" बता दें कि चीन अपने वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट की तरह ही हिंद महासागर के रास्ते भी एक मैरीटाइम सिल्क रोड बनाना चाहता है। इसके लिए चीन श्रीलंका के हम्बनटोटा और अफ्रीका के जिबूती में बंदरगाह भी बना रहा है।
- शी ने कहा, “ चीन-श्रीलंका के रिश्तों को बेहतर करने पर हमारा सबसे ज्यादा ध्यान है। हम प्रेसिडेंट सिरिसेना के साथ मिलकर दोनों देशों और नागरिकों के बेहतर डेवलपमेंट के लिए काम करना चाहते हैं। श्रीलंका ने सिल्क रोड के ज्वाइंट कंस्ट्रक्शन पर सहयोग दिखाकर दोनों देशों को फायदा पहुंचाया है। इसी सहयोग से हम दोनों देशों के हितों के लिए काम करेंगे।"
- चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग ने भी इस मौके पर अपने काउंटरपार्ट रनिल विक्रमासिंघे को बधाई दी।
- चीन लैंड और मैरीटाइम सिल्क रोड से भारत को हर तरफ से घेरने का प्लान बना रहा है। जहां वन बेल्ट वन रोड के तहत चीन PoK से भारत को घेर रहा है। वहीं हिंद महासागर में श्रीलंका के साथ हम्बनटोटा पोर्ट के के लिए पैसे देकर अपना प्रभुत्व कायम करने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि हम्बनटोटा पोर्ट को बनाने और 99 साल के लिए लीज पर लेने के लिए चीन ने श्रीलंका में करीब 8 बिलियन डॉलर्स का इन्वेस्टमेंट किया है।
- 2013 में शी जिनपिंग ने सिल्क रोड प्रोजेक्ट का एलान किया था। इसका मकसद सिल्क रूट के जरिए एशिया-यूरोप-अफ्रीका के 65 देशों की इकोनॉमी को जोड़ना है। 2000 साल पहले चीन ने ऐसा ही एक रूट बनाया था। चीन ने व्यापार के लिए इस रूट से मध्य एशिया और अरब देशों को जोड़ा था। उस वक्त चीन की पहचान उसके सिल्क से होती थी और एक्सपोर्ट का मेन प्रोडक्ट भी यही था, ऐसे में इस रूट को सिल्क रूट का नाम दिया गया था।
- इस प्रोजेक्ट के तहत चीन पड़ोसी देशों के अलावा यूरोप को सड़क से जोड़ेगा। ये चीन को दुनिया के कई पोर्ट्स से भी जोड़ देगा।
- एक रूट बीजिंग को तुर्की तक जोड़ने के लिए प्रपोज्ड है। यह इकोनॉमिक रूट सड़कों के जरिए गुजरेगा और रूस-ईरान-इराक को कवर करेगा।
- दूसरा रूट साउथ चाइना सी के जरिए इंडोनेशिया, बंगाल की खाड़ी, श्रीलंका, भारत, पाकिस्तान, ओमान के रास्ते इराक तक जाएगा।
- पाक से साथ बन रहे CPEC को इसी का हिस्सा माना जा सकता है। फिलहाल, 46 बिलियन डॉलर के चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पर काम चल रहा है। बांग्लादेश, चीन, भारत और म्यांमार के साथ एक कॉरिडोर (BCIM) का प्लान है।
- CPEC के तहत पाक के ग्वादर पोर्ट को चीन के शिनजियांग को जोड़ा जा रहा है। इसमें रोड, रेलवे, पावर प्लान्ट्स समेत कई इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट किए जाएंगे।
- भारत चीन के सिल्क रूट प्रोजेक्ट का लंबे समय से विरोध कर रहा है। भारत का कहना है कि वह ऐसे किसी प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं बनेगा जो उसकी सॉवेरीनटी (संप्रभुता) और टेरिटोरियल इंटेग्रिटी (क्षेत्रीय अखंडता) का वॉयलेशन करता हो। CPEC को लेकर भी भारत विरोध करता रहा है। भारत ने दावा किया था कि कि कॉरिडोर पाक के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से गुजरेगा, तो इससे सुरक्षा जैसे मसलों पर असर पड़ेगा।
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