भोपाल। भोपाल रहने वाला नैतिक बंसल। उम्र महज छह साल। ब्रेन स्टेम ग्लायकोमा नामक ट्यूमर की वजह से एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने साफ कह दिया था कि टयूमर की सर्जरी नहीं की गई तो बच्चा नहीं बचेगा। सर्जरी में भी जोखिम है। बचने के चांस सिर्फ 10 फीसदी है। यह सुन पिता राकेश बंसल व नैतिकी की मां के आंसू फूट पड़े।
कई दिन तक इस ऊहापोह में उनकी रात कटी कि सर्जरी कराएं या नहीं। आखिरकार दोनों ने हिम्मत की और सर्जरी कराने का निर्णय लिया। सर्जरी के बाद 22 दिन तक वेंटिलेटर पर रहा नैतिक अब पूरी तरह से स्वस्थ है। रेडियोथैरेपी के डोज पूरे होने के बाद वह कैंसर से उबर गया है।
नैतिक के पिता राकेश बंसल ने बताया कि खेलते-खेेलते एक बार उसे चक्कर आ गया। लगा कि थक गया होगा। दूसरी बार फिर वैसे ही हुआ तो उसे एम्स भोपाल में दिखाया। यहां एमआरआई रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर्स के होश उड़ गए। नैतिक के दिमाग में ट्यूमर था। वह भी इतना बड़ा कि स्पाइन कार्ड का 90 फीसदी हिस्सा खत्म हो चुका था। एमआरआई रिपोर्ट देखने के बाद न्यूरो सर्जन डॉ. आदेश श्रीवास्तव ने सर्जरी करने का निर्णय लिया। उन्होंने परिजनों से साफ बता दिया कि सर्जरी के बाद बच्चे के बचने की उम्मीद काफी कम हैं, लेकिन कुछ नहीं करने से तो उसकी जिंदगी बचना बहुत मुश्किल है। डॉक्टर्स की काउंसलिंग के बाद माता-पिता ने भी हिम्मत दिखाई और बच्चे की सर्जरी कराने का निर्णय लिया। नतीजा यह रहा कि नैतिक ने कैंसर को मात दे दी। दो साल के संघर्ष के बाद फिर उसका बचपन लौट आया। बीमारी के दौरान वह पहली में था। अब वह फिर स्कूल जाने लगा है।
डॉ. आदेश श्रीवास्तव ने कहा कि उसे बहुत साधारण तरह का ट्यूमर था, लेकिन वह इतना बढ़ गया था कि उसे निकालने के बाद जिंदगी को बड़ा खतरा था। सर्जरी के एक दिन पहले पूरी तैयारी की। सर्जरी में नई तकनीक का उपयोग किया। इस तरह जितनी अधिकतम कोशिश हो सकती थी की। सर्जरी के बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा। चार दिन वाद वेंटिलेटर निकालने की कोशिश की, लेकिन उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, जिससे फिर वेंटिलेटर लगा दिया। 22 दिन बाद वेंटिलेटर हट पाया।
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