इंदौर। पाकिस्तान की गीता को उसके माता-पिता से मिलाने के लिए प्रशासन नए प्रयास कर रहा है। इसके लिए शनिवार को कलेक्टर निशांत वरवड़े ने एक बैठक आयोजित की। यहां पर पाकिस्तान से भारत लाने में मदद करने वाले साइन भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेन्द्र पुरोहित से मुलाकात करवाई गई। उन्होंने मूकबधिर गीता को उसके माता-पिता से मिलाने और उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए सीबीआर विधि के बारे में बताया। इस विधि के अनुसार गीता समाज में उठ बैठ सकती है और सामान्य महसूस कर सकती है।
साथ ही माता-पिता को उसके बताए हुए स्थान पर ले जाकर तलाश किया जा सकता है। संभावना जताई है कि गीता के परिवार को छत्तीसगढ़, झारखंड और उड़ीसा में खोजा सकता है। वहीं कुछ दिन पहले गीता का स्थानांतरण उज्जैन किए जाने की सूचना आई थी, इस पर कलेक्टर ने किसी भी स्थान पर स्थानांतरण की जानकारी होने से मना कर दिया।
ज्ञानेंद्र पुरोहित ने बताया कि वर्तमान में, गीता एक स्थानीय छात्रावास में रह रही है। हमने गीता के माता-पिता की सामुदायिक पुनर्वास (सीबीआर) पद्धति के माध्यम से खोज करने का प्रस्ताव बनाया है। इस पर कलेक्टर निशांत वरवड़े का कहना है कि वे जानकारों से इस प्रस्ताव पर विचार करेंगे। इस प्रस्ताव के माध्यम से गीता जहां पर भी अपने माता-पिता होने का इशारा या इंगित करती है उसे वहां ले जाया जाएगा और परिवार को ढूंढने में मदद की जाएगी।
पहले भी खोजे हैं माता-पिता
पुरोहित ने बताया कि उन्होंने संस्था के माध्यम से शीला को उसके परिवार से मिलाया है। उसके माता-पिता नेपाल में मिले थे। अब वह अपने परिवार के साथ खुश है। जो प्रस्ताव बनाया है उसके पहले उच्च स्तरीय समिति व केंद्र सरकार के विशेषज्ञ प्रस्ताव की व्यवहार्यता की जांच करेंगे। उसके बाद ही इस पर मुहर लग सकेगी।
माता-पिता से मिलने उत्सुक है गीता
गीता को दो साल हो चुके हैं। गीता ने साइन भाषा विशेषज्ञ को इशारों में बताया कि वह अपने माता-पिता से मिलने के लिए उत्सुक है। दो साल से वह मूक बधिर लोगों के साथ रह रही है। इस कारण वह समाज से पूरी तरह दूर है। वह भी समाज से जुड़ना चाहती है।
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