इंदौर। मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल (हाउसिंग बोर्ड) अपने खर्च और टैक्स घटाकर आम जनता को सस्ते मकान देने की तैयारी कर रहा है। बोर्ड का इरादा ईडब्ल्यूएस और एलआईजी मकानों की कीमत 60 हजार से 1 लाख रुपए तक कम करने का है।
बोर्ड का आकलन है कि जनता के लिए बनाए जा रहे आवासों पर लागत के अलावा बोर्ड का खर्च 18-20 फीसदी बैठ रहा है। इसमें सुपरविजन और रेरा सहित अन्य खर्च शामिल हैं। इसे 10-12 प्रतिशत पर लाने का विचार किया जा रहा है। इसका सीधा फायदा आवासों की कीमत कम करके खरीदारों को दिया जाएगा।
इस पर बोर्ड के मुख्यालय स्तर के अलावा जिलों में बैठे अधिकारियों से सुझाव मांगे गए हैं। व्यावहारिक और कानूनी कसौटी पर खरा साबित होने वाले सुझाव अमल में लाए जाएंगे। इस मुद्दे पर बोर्ड अध्यक्ष कृष्णमुरारी मोघे भोपाल में बैठक भी कर चुके हैं। जल्द ही इसके परिणाम सामने आ सकते हैं।
अधिक कीमतों के कारण नहीं बिक रहे
प्रदेश में हाउसिंग बोर्ड के कुछ प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनमें अधिक कीमतों के कारण मकान नहीं बिक रहे हैं। राऊ स्थित कामायनी व कादंबरी प्रोजेक्ट और भोपाल का अयोध्या नगर इसके उदाहरण हैं। कामायनी और कादंबरी में डुप्लेक्स की कीमत 75 लाख है। सुझाव आया है कि ये कीमत 55-60 लाख रुपए ही हो, तभी खरीदार इसे ले पाएंगे। अयोध्यानगर में भी कीमतें अधिक होने से खरीदार नहीं आ रहे और सालों से बोर्ड की संपत्ति बिकने में दिक्कत आ रही है।
कम रेट पर टेंडर भी परेशानी का कारण
निर्धारित दर से कम रेट पर टेंडर हासिल करने वाले ठेकेदारों के काम पर भी बोर्ड ने चिंता जाहिर की है। सोमवार को भोपाल की बैठक में इस पर चर्चा हुई। ठेकेदार ठेका ले तो लेते हैं लेकिन बाद में क्वालिटी में गिरावट होती है या बीच में काम छोड़कर भाग जाते हैं। इससे फिर से टेंडर करना पड़ता है और प्रोजेक्ट में देरी के साथ नुकसान भी होता है। इस समय बोर्ड के प्रोजेक्ट में 10-20 प्रतिशत कम रेट पर टेंडर हो रहे हैं। बड़वानी, खंडवा और खरगोन में यही हुआ। इंदौर में होप टेक्सटाइल मिल की जमीन पर आ रहे रेनबो प्रोजेक्ट का टेंडर भी 10 फीसदी कम रेट पर हुआ है।
यहां से पैसा बचाने की जुगत, इन मुद्दों पर मंथन
- बोर्ड अपने आवासीय प्रोजेक्ट में सुपरविजन चार्ज भी लेता है। ये चार्ज भी आवास और प्रोजेक्ट की कीमत में जुड़ता है। सुपरविजन चार्ज कम करने पर भी विचार किया जा रहा है।
- किसी प्रोजेक्ट में जनता से घर की कीमत का 10 प्रतिशत बुकिंग शुल्क लिया जाता है तो इस पर रेरा लगता है। इस चार्ज को 5 फीसदी कर दिया जाए तो रेरा नहीं लगेगा। इसके लिए बोर्ड विचार करेगा कि इससे किसी नियम का उल्लंघन तो नहीं हो रहा? इस तरह रेरा का शुल्क बचाकर जनता को फायदा दिया जा सकता है।
- बोर्ड के ईडब्ल्यूएस मकानों की कीमत अभी करीब 8 लाख है। इसे 6 लाख रुपए तक करने का विचार है। ऐसा हुआ तो निम्न आय वर्ग वालों को 1.50 लाख रुपए का फायदा प्रधानमंत्री आवास योजना से दिलवाया जाएगा। साथ ही बचे हुए 4.50 लाख रुपए का फाइनेंस बैंक से कराया जाएगा।
5 को होगा विचार
हाउसिंग बोर्ड के मकान किस तरह जनता के लिए खरीदना आसान और सुविधाजनक हो, इस पर विचार किया गया। मकान की कीमत कैसे कम हो, इस पर सुझाव बुलाए गए हैं। इन पर 5 फरवरी को बैठक में विचार किया जाएगा।
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