बीजिंग। चीन की सेना ने एक बार फिर डोकलाम को लेकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं। चीनी सेना का कहना है कि डोकलाम चीन का हिस्सा है। भारत को 73 दिनों तक डोकलाम पर चले गतिरोध से कुछ सीख लेनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह के विवाद ना हों।
चीनी सेना का ये बयान सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने डोकलाम को एक 'विवादित क्षेत्र' बताया था। चीन अब तक इस बात पर अड़ा हुआ है कि डोकलाम क्षेत्र को लेकर उनका भूटान से कोई विवाद नहीं है।
जनरल बिपिन रावत के डोकलाम पर दिए गए बयान के बाद चीनी सेना की ओर से यह पहली प्रतिक्रिया है, जिसने डोकलाम को लेकर चीन के इरादे जाहिर कर दिए हैं। गुरुवार को चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने कहा, 'डोकलाम चीन का एक अभिन्न हिस्सा है।'
हाल ही में जनरल रावत ने कहा था कि भारत को पाकिस्तान से लगती सीमा से ध्यान हटाकर चीन सीमा पर केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि चीन की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।
12 जनवरी को सेना दिवस के अवसर पर सेना प्रमुख ने कहा था, 'चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने उत्तरी डोकलाम के इलाके पर कब्जा कर लिया है। गतिरोध स्थल से दोनों पक्ष पीछे हट गए हैं। तंबू अब भी लगे हैं। निगरानी चौकियां मौजूद हैं। इस क्षेत्र को लेकर भूटान और चीन के बीच विवाद है।' इस पर वू ने कहा, 'भारत की ओर से की गई टिप्पणी से साफ है कि भारतीय सैनिकों ने अवैध तरीके से सीमा पार की है।'
सेना प्रमुख द्वारा भारत को पड़ोसी को साथ लेने के बयान पर वू ने कहा, 'देश के साथ उनके आकार से इतर समान रूप से व्यवहार करना चाहिए।' उन्होंने कहा कि प्रभाव क्षेत्र की इस तरह की धारणा से शीत युद्ध वाली सोच झलकती है जिसके खिलाफ चीन हमेशा रहा है। जनरल रावत ने कहा था कि चीन से निपटने की व्यापक रणनीति के तहत नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसे देशों को भी साथ लेने की जरूरत है।
वू ने चीन द्वारा अफगानिस्तान में सैन्य अड्डा या आतंकियों के खिलाफ अभियान के लिए अड्डा बनाने की रिपोर्ट को बेबुनियाद बता कर खारिज किया।
ज्ञात हो कि पिछले साल 16 जून को भारतीय सेना ने विवादित डोकलाम क्षेत्र में चीनी सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था। भारत और चीन की सेना के बीच 73 दिनों तक गतिरोध बना रहा था। दोनों देशों की सेना आमने-सामने थी। आखिरकार 28 अगस्त को डोकलाम विवाद सुलझा और चीनी सैनिक पीछे हट गए।
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