मल्टीमीडिया डेस्क। बसंतोत्सव के साथ ही ब्रज और मथुरा में 42 दिनों तक चलने वाले होली के त्योहार की शुरुआत हो चुकी है। देश-दुनिया से यहां की होली और खासतौर पर लठ्ठमार होली को देखने के लिए लोगों का आना शुरू हो चुका है। इसी मौके पर हम आपको बता रहे हैं मथुरा के एक कुंड के बारे में, जहां स्नान करने के बारे में मान्यता है कि निःसंतान दंपति को संतान सुख मिलता है।
मथुरा के पास अरिता नामक गांव में 2 सरोवर है, जिन्हें राधा कुंड और कृष्ण कुंड कहा जाता है। राधा कुंड के बारे में मान्यता है कि जिस किसी दंपत्ति को संतान की प्राप्ति नहीं होती, वह अहोई अष्टमी (कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी) की मध्य रात्रि को इस कुंड में स्नान करें, तो उन्हें निश्चित ही संतान की प्राप्ति होती है।
अहोई अष्टमी का महत्व
माना जाता है कि अहोई अष्टमी तिथि पर इन दोनों कुंडों का निर्माण हुआ था। इसलिए अहोई अष्टमी पर यहां स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। हर साल अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में बड़ी संख्या में लोग स्नान करते है। यहां स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस तरह से बने थे कुंड
कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के मामा कंस ने उनका वध करने के लिए अरिष्टासुर राक्षस को भेजा। वह बछड़े का रूप बनाकर श्रीकृष्ण की गायों में शामिल हो गया और बाल-ग्वालों को मारने लगा। श्रीकृष्ण ने अरिष्टासुर को पहचान लिया और जमीन पर पटक-पटककर उसका वध कर दिया।
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