नई दिल्ली। भारत और दुनियाभर में धोखाधड़ी, साइबर अपराध और सुरक्षा से जुड़े खतरे सर्वोच्च स्तर पहुंच गए हैं। पिछले 12 महीनों में ऐसी घटनाओं से प्रभावित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म क्रोल की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
क्रोल ने अपनी वार्षिक फ्रॉड एंड रिस्क रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल भारत में सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 89 फीसद लोगों ने ऐसी घटनाओं का शिकार होने की बात स्वीकारी। एक साल पहले ऐसे लोगों की संख्या 68 फीसद थी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 84 फीसद लोगों ने माना कि पिछले 12 महीनों में वह ऐसी घटनाओं का शिकार हुए। भारत में विभिन्न संपत्तियों या स्टॉक की चोरी, आइपी में सेंध, पाइरेसी या जालसाजी और भ्रष्टाचार व रिश्वत के मामले ग्लोबल औसत से ज्यादा रहे। इसके अलावा 11 में से पांच श्रेणियों में प्रतिभागियों ने कहा कि धोखाधड़ी की घटनाएं व्यापक और अलग-अलग तरीकों से हुईं।
हालांकि, इस तरह की घटनाएं बढ़ने के बाद भी भारत में निवेश का माहौल प्रभावित नहीं हुआ है। कारोबार करने में दिक्कत को लेकर भारत की स्थिति 2017 में सुधरी है। केवल नौ फीसद प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें यहां कारोबार करने में परेशानी का सामना करना पड़ा। 2016 में ऐसे लोगों की तादाद 19 फीसद थी।
क्रोल की एमडी एवं दक्षिण एशिया प्रमुख रेशमी खुराना ने कहा, 'सर्वेक्षण से स्पष्ट है कि धोखाधड़ी का खतरा बढ़ने के बावजूद भारत ने निवेश के लिहाज से अपनी स्थिति में सुधार किया है। निवेश करना एक कला है और निवेशकों को खतरों से निपटना आना चाहिए।' भारत में कंपनियां आइटी सिक्योरिटी और अन्य माध्यमों से धोखाधड़ी के खतरों को मात देने में लगी हैं।
Comment Now