Thursday, 22nd May 2025

कम बारिश का असर, राजधानी में शाम के पानी में आधे घंटे कटौती का प्रस्ताव

Wed, Jan 24, 2018 7:04 PM

रायपुर. इस साल हुई कम बारिश और अभी से पानी के ज्यादा वाष्पीकरण की वजह से प्रदेश समेत राजधानी में पानी का संकट जल्दी गहराने की आशंका है। इसे ध्यान में रखते हुए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग ने फरवरी से ही राजधानी में की जाने वाली पानी सप्लाई में कटौती का प्रस्ताव नगर निगम को दे दिया है। सूत्रों के अनुसार पीएचई के प्रस्ताव में कहा गया है कि राजधानी में नगर निगम के नलों से सुबह तो एक घंटे पानी दिया जा सकता है, लेकिन शाम की सप्लाई एक घंटे से घटाकर 30 मिनट करनी होगी। रायपुर में अगले 150 दिनों तक पानी सप्लाई बनी रहे, इसलिए यह कटौती जरूरी है। उधर, नगर निगम ने पीएचई से पानी में कटौती का प्रस्ताव मिलने की पुष्टि की है, लेकिन यह भी कहा है कि पर्याप्त स्टोरेज होने की वजह से वे इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं।

फरवरी से ही कटौती पर जोर, निगम अभी शाम को 1 घंटे देता है सप्लाई

पीएचई अफसरों ने बताया कि राजधानी में अधिकतम 9 माह तक पानी की सप्लाई गंगरेल बांध से होती है। मानसून में कम बारिश से गंगरेल सिर्फ 57 फीसदी भरा है। यही नहीं, शहर के अन्य भूजल स्रोतों में भी पानी कम है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने ग्रीष्मकालीन धान के लिए पूरे प्रदेश में कहीं भी बांधों से पानी नहीं छोड़ा। अफसरों ने बताया कि पानी की इसी कमी की वजह से पीएचई ने अभी से राजधानी में होने वाली पानी सप्लाई को संतुलित रखने पर मंथन शुरू किया है। यह संतुलन तभी संभव है, जब शहर में एक समय यानी शाम को पानी सप्लाई कम की जाए। यह प्रस्ताव बनाने के बाद पीएचई इसे लागू करने के लिए जल्द निगम अफसरों के साथ बैठक करनेवाला है। अगर कटौती प्रस्ताव लागू हो जाता है तो रायपुर के इतिहास में पहली बार होगा, जब गर्मी में पानी सप्लाई में कटौती करनी होगी।

गंगरेल की हालत अच्छी नहीं

सिंचाई विभाग के आंकड़े बताते हैं कि गंगरेल बांध की 766.800 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की क्षमता है। इसके मुकाबले मानसून सीजन में यहां 214.74 क्यूबिक मीटर पानी ही भरा था (10 अगस्त तक)। बांध में 6 नवंबर तक 301.09 क्यूबिक मीटर पानी था। वाष्पीकरण शुरू हुआ और केवल दो हफ्ते यानी 20 नवंबर को बांध में पानी घटकर 291.71 क्यूबिक मीटर हो गया। आने वाले 150 दिनों के भीतर 10-11 घंटे की औसतन तेज धूप रहेगी, इसने चिंता बढ़ा दी है।

रोज बचेगा 450 लाख लीटर

राजधानी में वाटर सप्लाई की अहम जिम्मेदारी पीएचई की है। गंगरेल बांध का पानी सिंचाई विभाग से पीएचई ही लेता है और नगर निगम को देता है। यही पानी निगम फिल्टर करके शहर तक पहुंचा रहा है। नगर निगम अभी शहर के 10 लाख लोगों तक करीब दो लाख नलों से सुबह और शाम एक-एक घंटा पानी दे रहा है। पीएचई के प्रस्ताव में सुबह कटौती का उल्लेख नहीं है, बल्कि शाम को सप्लाई आधी करके 45 एमएलडी पानी बचाने की योजना है।

सर्दियों में ही भाप बनने की प्रक्रिया तेज

गंगरेल बांध में एक पखवाड़े में वाष्पीकरण की वजह से 10 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी कम हुआ है, जबकि अभी तेज ठंड का मौसम है। सिंचाई विभाग के पास जो डेटा हैं, उनके अनुसार विशेषज्ञों का अनुमान है कि पिछले दो माह में बांध से 250 मिलियन क्यूबिक मीटर तक पानी भाप बनकर उड़ चुका है। गर्मी में धमतरी से रायपुर तक तापमान 40 से 45 डिग्री के बीच रहता है, इसलिए वाष्पीकरण और तेज हो जाएगा। इसका बांध के जलस्तर पर बुरा असर होगा।

प्लान पर करेंगे मंथन : पीएचई

पीएचई के रायपुर एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (ईई) संजीव बिचपुरिया ने बताया कि सिंचाई विभाग कितना पानी आने वाले दिनों में सप्लाई करेगा, राजधानी में पानी की आपूर्ति उसी पर निर्भर करेगी। इस मुद्दे पर जल्दी ही नगर निगम और सिंचाई विभाग के अफसरों के साथ बैठक की जाएगी।

कटौती नहीं करेंगे : निगम
उधर, नगर निगम ने राजधानी में एक टाइम की पानी सप्लाई में कटौती प्लान पर असहमति जताई है। निगम में पानी महकमे के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (ईई) एके माल्वे ने कहा कि उनके पास स्टोरेज पर्याप्त है। हम सुबह-शाम पर्याप्त सप्लाई कर सकते हैं। इसलिए पीएचई के कटौती प्लान से सहमत नहीं हैं।

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