इंदौर। वसंत पंचमी पर रायसेन निवासी दृष्टिहीन धर्मेंद्र (31) और इंदौर निवासी दिव्यांग शमा बी (32) के जीवन में भी सोमवार को वसंत का आगमन हुआ। दोनों के रास्ते में न धर्म आड़े आया न शारीरिक अक्षमता, क्योंकि दोनों ने एक-दूसरे का ताउम्र साथ निभाने का वादा किया था। दोनों की शादी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत चिमनबाग में आयोजित सामूहिक विवाह में हिंदू रीति रिवाज से हुई।
धर्मेंद्र शमा की नजरों से दुनिया देखेंगे तो दोनों पैरों से दिव्यांग शमा के हर कदम में धर्मेंद्र उनके साथी बनेंगे। शादी के बाद दोनों ने कहा कि हम दोनों को ही एक-दूसरे की जरूरत है। दोनों के साथ आने से खुशियां जहां दोगनी होंगी, वहीं मुश्किलें आधी रह जाएंगी। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में 98 जोड़ों की शादी हुई। 45 साल के वसंत और 42 साल की बबली की भी शादी हुई। नवयुगलों को उपहारस्वरूप गृहस्थी का सामान दिया गया।
धर्म बन रहा था बाधा, कलेक्टर ने दी थी अनुमति
शादी से पहले यह जोड़ा जनसुनवाई में कलेक्टर के पास पहुंचा था। शमा का कहना था कि मैं चल नहीं सकती और वो देख नहीं सकते। मैं मुसलमान हूं और जिससे शादी करना चाहती हूं वो हिंदू है। हम बालिग हैं। दोनों के माता-पिता शादी के लिए राजी हैं। हमने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत शादी करने के लिए फॉर्म भरा है, लेकिन नगर निगम मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अनुमति मांग रहा है। अब आप ही बताइए हम क्या करें।
कलेक्टर ने उनके शिकायती आवेदन पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि बालिग को किसी भी अनुमति की आवश्यकता नहीं पड़ती। धर्म भी बाधा नहीं बन सकता। नगर निगम में जाकर कलेक्टर के हस्ताक्षर किए आवेदन को जमा करने पर विवाह हुआ।
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