नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति की मुहर के बाद देश की राजधानी में उपचुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। हालांकि, आप के इन विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है और उन्हें कोर्ट से न्या मिलने की उम्मीद है। अदालत आज इस याचिका पर सुनवाई करेगी |
जहां एक तरफ अपनी विधायकी बचाने की कोशिश है वहीं पार्टी पर अब उपचुनाव की तैयारी में भी लग गई है। खबर है कि पार्टी जनता के बीच जाकर आप सरकार अपने फैसलों और किए गए कामों की जानकारी देगी ताकि अगर चुनाव होते हैं तो उन्हें इसका फायदा मिल सके। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रपति के फैसले से भाजपा और कांग्रेस की बाछें खिल गई हैं।
कांग्रेस को उम्मीद है कि अगर उपचुनाव होते हैं तो इसका फायदा सीधा उसे ही मिलेगा। फिलहाल दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस पूरी तरह से हाशिए पर है। न तो दिल्ली से पार्टी का कोई सांसद है, न कोई विधायक है। नगर निगम में भी गिने चुने ही पार्षद हैं। लगातार हार का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में आप सरकार की सियासी जमीन का खिसकना कांग्रेस को हर तरह से पार्टी हित में दिखाई दे रहा है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो आप सरकार के करीब तीन साल के कार्यकाल में ऐसे हालात बनते गए हैं कि रह रहकर दिल्लीवासियों ने शीला दीक्षित सरकार को याद किया है। शीला दीक्षित के कार्यकाल में दिल्ली का विकास भी हुआ और ऐसी शिथिलता भी नहीं देखने को मिली। वहीं इस मौके का फायदा भाजपा भी उठाने के तैयार है। फिलहाल विधानसभा में उसके विधायक ना के बराबर हैं लेकिन देश के अन्य राज्यों में मिली जीत का फायदा यहां मिल सकता है।
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