नई दिल्ली। 2019 में आम चुनाव होने हैं, ऐसे में जल्दी चुनाव की संभावना को देखते हुए एनडीए सरकार इस साल भविष्य निधि पर मिलने वाले ब्याज की दर को बरकरार रखने पर काम कर रही है।
पिछले वित्त वर्ष में भविष्य निधि के तहत जमाराशि पर ब्याज की 8.65 फीसद थी, सरकार इस साल भी इसमें बदलाव के मूड में नहीं है। ईपीएफ पर ब्याज दरें पीएफ फंड के निवेश से मिलने वाले रिटर्न के आधार पर तय होती हैं. पिछले कुछ सालों के दौरान सरकारी सिक्योरिटीज पर रिटर्न लगातार घट रहा है. सरकार 2015 में खरीदे गए ईपीएफओ के कुछ शेयरों को भी बेचने की योजना बना रही है ताकि ब्याज दर को 8.65 फीसदी पर स्थिर रखा जा सके।
सरकार बेच सकती है शेयर-
सूत्र बताते हैं कि EPFO अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए करीब 2000 करोड़ रुपए के शेयर बेचने की तैयारी कर रहा है। इससे 850 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आमदनी होगी और यही आमदनी पीएफ रेट तय करने में मदद करेगी। ईपीएफओ सेंट्रल बोर्ड के न्यासी पीएफ रेट और शेयर की बिक्री की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए अगले महीने बैठक करेंगे।
हालांकि शेयरों के जरिए होने वाली आमदनी का आकलन तो उस दिन के शेयर मूल्यों के आधार पर होगा। सूत्रों की मानें तो सरकार ये सारी कोशिश पीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर को बरकरार रखने के लिए कर रही है। साल 2016-17 में पीएफ की दरें 8.65 फीसद थी, वहीं 2015-16 में यही दर 8.8 और उससे पहले 2013-14 और 2014-15 के लिए ये दरें 8.75 फीसद थी।
सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री कार्यालय ने लेबर मिनिस्ट्री से ब्याज दर 8.5 फीसद करने की सूरत में क्या असर पड़ सकता है उसके पारे में पड़ताल करने को कहा है। क्योंकि देश में 6 करोड़ से ज्यादा लोग इस स्कीम से जुड़े हैं। वहीं वित्त मंत्रालय भी इस बात पर जोर दे रहा है कि पीएफ पर ब्याज दरें छोटी बचत स्कीम पर मिलने वाली दरों के आसपास ही रहें।
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