भोपाल। मप्र एसटीएफ ने डेढ़ साल से लापता एक व्यक्ति को ई-मेल आईडी और फेसबुक अकाउंट के जरिए शिर्डी में ढूंढ़ निकाला। वह डिप्रेशन का शिकार होकर घर से गायब हो गया था। उसके चले जाने से परिवार पर आफत आ गई। माता-पिता, पत्नी व बेटियों पर आर्थिक संकट आ गया। इसी कारण एक बेटी ने नीट पास करने के बाद भी शिमला के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में प्रवेश का मौका गंवा दिया।
यही नहीं, पिता ने बेटे को ढूंढने के लिए इस अवधि में कई जगह चक्कर काटे। सालभर पहले उन्होंने डीजीपी के
सामने भी गुहार लगाई थी। इसके बाद हरकत में आई पुलिस ने उन्हें बेटे से मिलवा दिया।
अशोक नगर में एक निजी फाइनेंस कंपनी में काम करने वाले मराठी परिवार के भरोसेलाल (परिवर्तित नाम) डिप्रेशन में आने के बाद अचानक पांच मई 2016 को लापता हो गए थे। उनका परिवार तब शाजापुर जिले में किराए के मकान में रहता था। भरोसेलाल के लापता होने के बाद उनका परिवार परेशानी में आ गया।
दो बेटियों के पिता के घर नहीं आने से बड़ी बेटी की पढ़ाई पर संकट आ गया। उसने मेडिकल एजुकेशन के लिए नीट दी थी और शिमला के निजी मेडिकल कॉलेज में उसे प्रवेश मिल रहा था। पिता के नहीं होने से आर्थिक संकट से जुझते परिवार की वजह से उसने प्रवेश नहीं लिया। इसके बाद भरोसेलाल के पिता ने बेटे को ढूंढने के लिए कई जगह चक्कर लगाए। इस बीच मां का निधन हो गया और परिवार भी परेशान होकर भोपाल में रहने आ गया। दिसंबर 2016 में डीजीपी से भरोसेलाल के पिता ने बेटे की तलाश के लिए गुहार लगाई तो उन्होंने एसटीएफ को जांच का जिम्मा सौंपा।
फेसबुक व ई-मेल क्रेक कर मिला पता
बताया जा रहा है कि निरीक्षक उमेश यादव ने जांच के दौरान भरोसेलाल की ई-मेल आईडी और फेसबुक अकाउंट को क्रेक कर मोबाइल नंबर जुटाए। कई नंबर की जांच के बाद सालभर बाद 8 जनवरी 2018 को यादव भरोसेलाल तक पहुंचे। वह शिर्डी में मंदिर के आसपास फेरी लगाता मिला। एसटीएफ ने उसे पकड़कर परिवार के सुपुर्द कर दिया है। मई 2016 से लेकर मिलने के बीच वह अमृतसर के स्वर्ण मंदिर, महाराष्ट्र के छैगांव और मुंबई में भी रहा।
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