Saturday, 24th May 2025

डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य

Tue, Jan 16, 2018 4:08 AM

स्वच्छता सर्वेक्षण कार्य की नियमित मॉनीटरिंग की जाए - श्रीमती माया सिंह

 

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा है कि मध्यप्रदेश शत-प्रतिशत नगरीय निकायों से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत भारत सरकार द्वारा कराये जा रहे स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान की मॉनीटरिंग कड़ाई से की जाये, जिससे प्रदेश में किये जा रहे प्रयासों से मध्यप्रदेश देश पुन: नई पहचान बना सके। उन्होंने यह बात सोमवार को मंत्रालय में स्वच्छ भारत अभियान-2018 की समीक्षा बैठक में कही। बैठक में प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास श्री विवेक अग्रवाल सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

श्रीमती माया सिंह ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत नगरीय क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है। शत-प्रतिशत नगरीय क्षेत्रों में खुले में शौच की कुप्रथा से मुक्ति दिलाने के बाद डोर-टू-डोर कचरा प्रबंधन का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नगरीय क्षेत्रों मे ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य निजी जन-भागीदारी के माध्यम से लैण्डफिल साइड एवं प्र-संस्करण कार्य किया जा रहा है। यह कार्य निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण कराये जायें। उन्होंने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तहत क्लस्टर बनाते समय नगरीय निकायों के बीच की दूरी पर विशेष ध्यान दिया जाये, जिससे एक दिन में ही कचरा मुख्य संग्रहण केन्द्रों तक पहुँच सके। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केन्द्रों की प्रगति की साप्ताहिक रिपोर्ट प्राप्त करने के निर्देश भी दिये। उन्होंने कहा कि कचरा संग्रहण का कार्य अवकाश के दिनों में भी लगातार जारी रखा जाये।

प्रमुख सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में स्वच्छता सर्वेक्षण-2018 पूरे देश के साथ प्रदेश में भी जारी है। प्रथम चरण में 26 निकायों का सर्वेक्षण पूर्ण किया जा चुका है। शेष निकायों में सर्वेक्षण द्वितीय चरण में किया जायेगा। स्वच्छता सर्वे और डोर-टू-डोर कलेक्शन कार्य की नियमित समीक्षा भोपाल-स्तर से की जा रही है। इसके लिये सभी 51 जिलों के लिये एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त किये गये हैं।

श्री अग्रवाल ने बताया कि निजी जन-भागीदारी आधारित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजनांतर्गत 26 क्षेत्रीय इकाइयों में से 6 इकाइयों से विद्युत उत्पादन इकाइयाँ स्थापित की जायेंगी। इनके माध्यम से 65 मेगावॉट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। शेष 20 इकाइयों से कचरे से जैविक खाद बनाया जाना प्रस्तावित है।

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