भोपाल। मुंबई और ठाणे में मप्र सरकार की कई एकड़ बेशकीमती जमीन को निजी हाथों में देने के मामले में रोज नए तथ्य सामने आ रहे हैं। वर्ष 2001 में मुंबई में गलत तरीके से नीलकंठ सोसायटी को जमीन देने के मामले के अलावा करीब 40 साल पहले हुई जमीन की एक डील से जुड़े दस्तावेज भी गायब होने का मामला सामने आया है।
वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 1970 के दशक में मुंबई स्थित मप्र सरकार की कुछ जमीन निजी हाथों में सौंपी गई थी। यह मामला भी कोर्ट में गया था। सूत्रों के मुताबिक जमीन के इस सौदे से जुड़े केस के दस्तावेज गायब हो गए हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट से कहा है कि संभव हो तो इस केस को फिर खोला जाए।
सूत्रों के मुताबिक उस दौरान मप्र सरकार की कंपनी मप्र प्रोविडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड और वित्त विभाग के अधिकारियों ने सरकार की जमीन निजी हाथों में सौंप दी थी। कंपनी के एमडी अनिरुद्ध मुखर्जी ने कहा कि 1970 के दशक में हुए सौदे से जुड़े कुछ दस्तावेज कोर्ट में थे, जो गायब हुए हैं। उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिए हैं।
बड़े लोगों तक पहुंच सकती है आंच
इधर, 2001 में नीलकंठ सोसायटी को दी गई जमीन और पीआईसीएल कंपनी में हुई अन्य गड़बड़ियों की जांच कई बड़े लोगों तक पहुंच सकती है। सूत्रों के मुताबिक कंपनी के मैनेजर पद पर रहते हुए अतुल बोरीकर ने सरकार में बैठे कई लोगों को उपकृत किया है। सीबीआई ने कंपनी में हुई गड़बड़ी को लेकर मामला भी दर्ज कर लिया है। जल्द ही कई लोगों से पूछताछ भी हो सकती है।
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