भोपाल। मेरे दोनों बेटे-बहू हमारे साथ रहते हैं, लेकिन हमारा जीना हराम कर रखा है। छोटी बहू जरा से विवाद में मेरी बीमार पत्नी को चाकू लेकर जान से मारने के लिए दौड़ती है। बड़ी चिल्ला-चिल्लाकर बात करती है। दोनों बेटे अपने पत्नियों का साथ देते हैं। उन्होंने मेरे मकान पर कब्जा कर हमारा सामान बाहर फेंक दिया है। हमें न्याय दिलाइए। लाचार बुजुर्ग पिता की इस गुहार पर एसडीएम टीटी नगर ने बेटे और बहुओं को एक माह के अंदर मकान खाली करने का आदेश दिया। यह पहला आदेश है जिसमें माता-पिता ने भरण पोषण भत्ते के बजाय मकान खाली करने को कहा गया है।
मकान नंबर 469/3, शक्ति नगर निवासी आरके दीक्षित (75वर्ष) बीएचईएल से रिटायर्ड अधिकारी हैं। उन्होंने 24 जनवरी 2017 कलेक्टर जनसुनवाई में शिकायत की थी कि मेरे दोनों बेटे-बहू हमारे साथ रहने के साथ साथ हमें परेशान कर रहे हैं। मेरी पत्नी नेहा दीक्षित (65 वर्ष) लकवे की मरीज है। उसका वर्ष 2016 में ब्रेन का ऑपरेशन हुआ है। डाक्टरों ने तेज आवाज या चिल्लाने से मना किया है। बावजूद इसके बड़े बेटे दिनेश कुमार दीक्षित की पत्नी रजनी जोर-जोर से चिल्लाकर बात करती है। इस कारण एक बार पत्नी को कस्तूरबा हॉस्पिटल में भर्ती तक कराना पड़ा था। छोटे बेटे जीतेंद्र कुमार दीक्षित की पत्नी रागिनी भी वैसी ही है।
दोनों बहुएं घर का कोई काम नहीं करती हैं। कुछ भी कहो तो बेटे भी बहुओं के साथ लड़ने आ जाते हैं। छोटी बहू तो जरा से विवाद में मेरी पत्नी को चाकू लेकर मारने दौड़ती है। उससे मेरी पत्नी को जान का खतरा है। दोनों बेटे न तो बिजली, पानी और मकान का टैक्स भरते हैं और न ही हमें चाय-भोजन आदि देते हैं। दोनों बेटे-बहू को घर से अलग किया जाए। इधर एसडीएम ने सुनवाई के दौरान पाया कि आरके दीक्षित अपनी पेंशन से ही घर चला रहे हैं। इसलिए उन्होंने दोनों बेटों को एक माह में घर खाली करने के आदेश दिए।
नहीं है हमारा माता-पिता से विवाद
इधर, प्रायवेट नौकरी करने वाले दिनेश कुमार और जीतेंद्र कुमार ने एसडीएम को कहा कि माता-पिता से कोई विवाद नहीं है। हमारी पत्नियां भी प्रेम से ही रहती हैं। लेकिन जांच में उनके जवाब झूठे निकले।
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