नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन भीमराव लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि सीनियर जजों ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। हमें जो दिक्कतें थीं, उन्हें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को बता दिया गया है। इन जजों ने कहा कि यह देश को तय करना चाहिए कि चीफ जस्टिस पर महाअभियोग लाया जाना चाहिए या नहीं। हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस के मौके पर जजों ने यह नहीं बताया कि वे किस मुद्दे पर बात कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जजों के प्रेस कॉन्फ्रेंस की अहम बातें
जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा- इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ
- जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा- "यह एक अद्भुत मौका है। कम से कम भारत के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। कुछ वक्त से सुप्रीम कोर्ट की एडमिनिस्ट्रेशन वो काम नहीं कर रही है जो उसे करना चाहिए। दुर्भाग्य से हमारी कोशिशें फेल हो गई हैं।"
- "जब तक हम जरूरी सवालों के जवाब नहीं देंगे, तब तक डेमोक्रेसी सुरक्षित नहीं होगी। 2 महीने से जो हालात हैं, उनकी वजह से हमें आज ये प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ रही है। हम देश की जनता को सबकुछ बताना चाहते हैं। हम अब तक चीफ जस्टिस को समझा नहीं पाए हैं।"
-" हम आज यहां हैं। कल शनिवार है फिर संडे है। साफ कर दें कि हम सोमवार को कोर्ट जाएंगे। हम आपसे इसलिए बात कर रहे हैं, क्योंकि हम देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी से नहीं भागना चाहते।"
- "कल कोई ऐसा न कहे कि हमने अपनी आत्मा बेच दी है। इसलिए हमने मीडिया से बात करने का फैसला किया।"
- यह प्रेस कॉन्फ्रेंस जस्टिस चेल्मेश्वर के घर पर ही ऑर्गनाइज की गई।
जस्टिस गोगोई ने कहा- सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है
- जस्टिस गोगोई ने कहा- "हमें जो दिक्कतें हैं, उसको लेकर चीफ जस्टिस से बात कर चुके हैं। लेकिन, दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि अब भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।"
चार जजों ने सीजेआई को लेटर लिखा?
- इन जजों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को सात पेज का लेटर लिखा। इसे प्रेस कॉन्फ्रेंस के वक्त जर्नलिस्ट को नहीं दिया गया। बाद में सर्कुलेट किया गया।
मोदी ने कानून मंत्री को मीटिंग के लिए बुलाया
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद नरेंद्र मोदी ने फौरन केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को मीटिंग के लिए बुलाया।
कौन हैं ये जज
1) जस्टिस जे चेलामेश्वर
- सुप्रीम कोर्ट के दूसरे नंबर के सबसे सीनियर जज हैं। उनका जन्म 23 जून, 1953 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ। उन्होंने मद्रास लॉयला कॉलेज से फिजिक्स में ग्रेजुएट किया और विशाखापट्टनम की आंध्र यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। चेलामेश्वर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एडीशनल जज और 2007 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने।
- उन्हें केरल हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया। अक्टूबर 2011 में वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
इसलिए रहे चर्चा में
- जस्टिस चेलामेश्वर ने पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट में वाई-फाई फैसेलिटी न होने को लेकर सवाल उठाया था। जे चेलामेश्वर और फॉली नरीमन की दो जजों की बेंच ने ही इस कानून को रद्द किया था, जिसके तहत पुलिस को किसी भी ऐसे शख्स को अरेस्ट करने का ऑर्डर था, जिसने किसी को कुछ मेल किया हो या कोई इलेक्ट्रॉनिक मैसेज दिया हो, जिससे किसी को कुछ परेशानी हुई हो।
- वे आधार से जुड़े प्राइवेसी के मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में भी जज थे।
2) जस्टिस रंजन गोगोई
जस्टिस रंजन गोगोई ने 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली। इससे पहले वे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे। वे गुवाहाटी हाईकोर्ट में भी अपनी सेवा दे चुके हैं।
इसलिए रहे चर्चा में
- कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन को सजा सुनाने वाली सात जजों की बेंच में वे जज थे।
- सरकारी विज्ञापनों में राज्यपाल, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और राज्य मंत्रियों की फोटो के इस्तेमाल की इजाजत दी थी। सुप्रीम कोर्ट का पिछला फैसला पलट दिया था।
3) जस्टिस मदन लोकुर
जस्टिस मदन भीमराव लोकुर ने 1977 में बतौर लॉयर करियर की शुरुआत की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत की। वे फरवरी 2010 से मई तक दिल्ली हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस रहे। जून में वे गुवाहाटी हाईकोर्ट और बाद में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने।
इसलिए रहे चर्चा में
- बिहार के एक मामले में बगैर तलाक लिए कानूनी तौर पर पति से अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता देने का फैसला दिया था।
- ओपन जेल के कंसेप्ट पर गृह मंत्रालय को बैठक करने का निर्देश दिया था। कोर्ट का कहना था कि अगर ऐसा होता है तो जेल में ज्यादा कैदियों की परेशानी से निजात मिलेगी। उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटने का मौका मिलेगा।
4) जस्टिस कुरियन जोसफ
- जस्टिस कुरियन ने कानून के क्षेत्र में अपना करियर 1979 से शुरू किया।
- 2000 में उन्हें केरल हाईकोर्ट को जज बनाया गया। 2010 में वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 8 मार्च 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
इसलिए रहे चर्चा में
- तीन तलाक को गैर-कानूनी करना का ऑर्डर देने वाली पांच जजों की बेंच में शामिल थे।
- गुड फ्राइडे पर कॉन्फ्रेंस बुलाने का विरोध किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखा था। इसमें उन्होंने कि वो गुड फ्राइडे की वजह से परिवार के साथ केरल में हैं और इस मौके पर होने वाले डिनर में नहीं आ पाएंगे। उन्होंने यह भी लिखा है कि दिवाली, दशहरा, होली, ईद, बकरीद जैसे शुभ और पवित्र दिन ऐसा कोई आयोजन नहीं होता।
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