Thursday, 22nd May 2025

पीएफ पासबुक का नहीं खुल रहा 'ताला', लाखों सदस्य परेशान

Thu, Jan 11, 2018 6:38 PM

भोपाल। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में डिजिटलाइजेशन के बाद क्रांतिकारी बदलाव हुए, लेकिन कई महीनों से लाखों अंशदाता और पेंशनर्स पीएफ अकाउंट की पासबुक नहीं खुलने से परेशान हैं। छह महीने से मिस्ड कॉल नंबर (01122901406) के जरिए मोबाइल पर बैलेंस स्टेटस आना भी बंद हो गया। यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) से विभाग की वेबसाइट पर लॉग इन करने के बावजूद पीएफ अकाउंट का ब्योरा भी नहीं मिल पा रहा।

मध्यप्रदेश में ईपीएफओ के करीब 35 लाख अंशदाता और साढ़े तीन लाख से अधिक पेंशनर्स की संख्या है। इनमें से ज्यादातर सदस्यों को उनके पीएफ अकाउंट का स्टेटस नहीं मिल पा रहा। ईपीएफओ की वेबसाइट पर पासबुक नहीं खुल पा रही है। इसके अलावा विभाग की ओर से अकाउंट अपडेट संबंधी मोबाइल पर भेजे जाने वाली एसएमएस सुविधा भी अनियमित हो चुकी है। सदस्यों का कहना है कि उन्हें कई बार महीनों तक कोई संदेश ही नहीं मिलता।

चक्कर लगा रहे उम्रदराज पेंशनर्स 

 

सिस्टम में आए तकनीकी फाल्ट के कारण अंशदाताओं के साथ सर्वाधिक परेशानी पेंशनर्स को हो रही है। बड़ी संख्या में ऐसे उम्रदराज भी हैं जो मोबाइल फोन ही नहीं रखते। जो मोबाइल उपयोग करते हैं उनमें से ज्यादातर स्मार्ट फोन फ्रेंडली नहीं हैं। नई तकनीक के सामने ऐसे पेंशनर्स की स्थिति 'अंगूठा छाप" जैसी होने लगी है। वेबसाइट पर स्टेटस देखने के लिए उन्हें 'कियोस्क" के अथवा भविष्य निधि भवन के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

दिल्ली से है तकनीकी खराबी

 

ईपीएफओ के क्षेत्रीय कमिश्नर संजय केसरी ने स्वीकार किया कि तकनीकी समस्या को लेकर उनके पास भी काफी शिकायतें आई हैं। उन्होंने बताया कि यह व्यवस्था मुख्यालय दिल्ली से संचालित है, वहां व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए काम चल रहा है। केसरी ने बताया कि विभाग के 'उमंग" एप से पीएफ अकाउंट का बैलेंस, ऑनलाइन लॉग इन और स्टेटस आसानी से पता कर सकते हैं। इस एप को गूगल प्ले स्टोर से स्मार्ट फोन पर डाउनलोड कर मोबाइल से ही ऑनलाइन क्लेम किया जा सकता है।

ये है 'उमंग" की खूबियां

 

क्षेत्रीय कमिश्नर केसरी ने बताया कि 'उमंग" एप की सुविधा को आठ महीने हो चुके हैं। इसके जरिए मोबाइल पर ही एडवांस आदि का आवेदन घर बैठे मिनटों में ईपीएफओ को भेज सकते हैं। किसी भी समय अपने पीएफ अकाउंट का विस्तृत ब्योरा देखा जा सकता है। इस एप का प्रचार-प्रसार ज्यादा नहीं हो पाया। इससे पेंशनर्स को ज्यादा परेशानी हो रही है।

पारदर्शिता की कमी

 

निवृत्त कर्मचारी 1995 समन्वय समिति के उप महासचिव चंद्रशेखर परसाई ने बताया कि तकनीकी खामी के चलते अंशदाता और पेंशनर्स अपने अकाउंट की जानकारी पाने को परेशान हैं। कई मुद्दों पर विभाग में पारदर्शिता दिखाई नहीं दे रही।

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