Saturday, 24th May 2025

आधार होगा सेफ, 1 जून से 16 अंकों की वर्चुअल ID से भी वेरिफिकेशन; UIDAI की नई फैसिलिटी

Thu, Jan 11, 2018 6:12 PM

नई दिल्ली.आधार डेटा की सुरक्षा के लिहाज से यूनिक आइडेंटि‍फि‍केशन अथॉरि‍टी ऑफ इंडि‍या (UIDAI) ने वेरिफिकेशन के लिए वर्चुअल आईडी जारी करने का फैसला लिया है। यह ऑप्शनल होगी, कोई यूजर वेरिफिकेशन के लिए अपना 12 अंक का आधार नंबर नहीं बताना चाहता है तो वह वर्चुअल आईडी दे सकता है। 1 जून से सभी एजेंसियां इस आईडी के जरिए भी वेरिफिकेशन करेंगी। कोई भी आधार होल्डर UIDAI की वेबसाइट से वर्चुअल आईडी जनरेट कर सकता है। 16 डिजिट की इस आईडी का इस्तेमाल मोबाइल नंबर के वेरिफिकेशन समेत कई स्कीम में KYC के लिए किया जा सकता है।

 

वेरिफिकेशन प्रॉसेस में क्या बदलाव होगा?

- UIDAI के सर्कुलर में कहा गया है कि आधार होल्डर 12 डिजिट के नंबर की जगह वर्चुअल आईडी से वेरिफिकेशन करा सकते हैं। केवाईसी की प्रॉसेस आधार जैसी ही होगी।

- 1 जून, 2018 से सभी एजेंसियों के लिए जरूरी होगा कि वे वर्चुअल आईडी से भी यूजर्स का वेरिफिकेशन करें। इससे इनकार करने पर एजेंसियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
- आधार की सेफ्टी और प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए वर्चुअल आईडी जारी किया जाएगा। चूंकि यह बैक एंड पर आधार से मैप होगी, इससे बिना आधार नंबर शेयर किए ही वेरिफिकेशन प्रॉसेस पूरी हो जाएगी। इससे एजेंसियां के पास आधार डेटा का स्टोरेज कम होगा।

कैसे जनरेट होगी वर्चुअल आईडी?

- वर्चुअल आईडी आधार से मैप होगी। इसे यूआईडीएआई की वेबसाइट से जनरेट किया जा सकेगा। जरूरत के मुताबिक, आधार होल्डर कई बार आईडी जनरेट कर सकते हैं। नई वर्चुअल आईडी जनरेट होने पर पुरानी अपने आप कैंसल हो जाएगी।
- वर्चुअल आईडी कम्प्‍यूटर से बना 16 डिजिट का नंबर होगा, जो जरूरत पड़ने पर तत्‍काल जारी किया जाएगा। इसे 1 मार्च से जनरेट किया जा सकेगा।

लिमिटेड होगी आधार से जुड़ी केवाईसी

- दूसरी ओर, सरकार केवाईसी के लि‍ए आधार के इस्‍तेमाल को भी सीमित करेगी। अभी कई एजेंसि‍यों के पास आपकी डि‍टेल पहुंच जाती है और वो उसे अपने पास रखते हैं। 
- जब केवाईसी के लि‍ए आधार का जरूरत ही कम हो जाएगी, तो ऐसी एजेंसि‍यों की संख्‍या भी घट जाएगी, जि‍नके पास आपकी डि‍टेल होगी।

देश में अब तक कितने आधार होल्डर?

- अथॉरिटी के मुताबिक, अब तक देश के 119 करोड़ लोगों को आधार नंबर (बायोमैट्रिक आईडी) जारी किए जा चुके हैं। कोई भी इसे पहचान के तौर पर पेश कर सकता है।

 

मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ा जा रहा

- कालेधन पर लगाम कसने के लिए सरकार इसे बैंक अकाउंट और पैन नंबर से लिंक करना जरूरी कर चुकी है। इसी तरह मोबाइल नंबर्स को भी आधार से जोड़ा जा रहा है।

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