वॉशिंगटन. अमेरिकी सांसदों ने कहा कि H-1B वीजा होल्डर्स नई खोजें करते हैं। इसके चलते अमेरिकी इकोनॉमी को मजबूत करने में मदद मिलेगी। सांसदों ने डोनाल्ड ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन के उस फैसले का समर्थन किया जिसमें कहा गया था कि ऐसा कोई प्रपोजल नहीं लाया जा रहा, जिसमें H-1B वीजा होल्डर्स को देश से जाने को कहा जाए। बता दें कि मंगलवार को ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने साफ कर दिया कि अमेरिका अपनी H-1B वीजा एक्सटेंशन पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं कर रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि ये साढ़े सात लाख इंडियन प्रोफेशनल्स आगे भी वहां नौकरियां करते रहेंगे और उन्हेें भारत नहीं लौटना होगा।
- तुलसी गब्बार्ड ने कहा, "H-1B वीजा होल्डर्स उन कई लोगों में शामिल हैं जिनके अमेरिका में छोटे बिजनेस हैं। ये लोग इनोवेशन लाने में माहिर हैं। उनकी कोशिशों से अमेरिका की इकोनॉमी मजबूत होगी।''
- "ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन H-1B होल्डर्स को लेकर किया गया फैसला देश को आगे ले जाने में कारगर साबित होगा।''
- "जब हम स्किल्ड अमेरिकन वर्कर्स ट्रेनिंग और उसके बाद नौकरियां देने की बात कर रहे हैं, तब ये जरूरी हो जाता है कि टैलेंटेड H-1B वीजाधारकों को छूट देना जारी रखा जाए। ये अमेरिका में घरेलू कामगारों के गैप को भरने का काम करेगा।''
- बता दें कि पिछले हफ्ते गब्बार्ड और इंडियन-अमेरिकन कॉकस की संसदीय समिति के मेंबर केविन योडर ने ट्रम्प को लेटर लिखा था, जिसमें H-1B वीजा होल्डर्स को देश से बाहर न करने की बात कही गई थी।
क्या बोले योडर?
- "मैंने पर्सनली देखा है कि हाई-स्किल्ड इमिग्रेंट्स कैसे मेरी कम्युनिटी की मदद कर रहे हैं। ये इमिग्रेंट्स पूरे अमेरिका में कई इंडस्ट्रीज में अपना हुनर दिखा रहे हैं। वे हमारे यहां वर्कर्स की कमी की जगह को भर रहे हैं। इसके चलते वे कंपनियों को दूसरे देशों में जाने से रोक रहे हैं।''
- "दूसरे देशों से आए इमिग्रेंट्स अमेरिका के विकास में मददगार हैं। जो लोग हमारे लिए काम कर रहे हैं, कानून के मुताबिक चल रहे हैं, हमें भी उनकी मदद करनी होगी।''
- अमेरिकी अथॉरिटीज ने कहा- ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन H-1B वीजा एक्सटेंशन पॉलिसी में ऐसा कोई बदलाव करने नहीं जा रहा है जिसकी वजह से ये वीजा रखने वालों को देश छोड़ना पड़े।
- यह एलान यूएस सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेस यानी USCIS ने किया है। बता दें कि USCIS के हवाले से ही कई दिनों से इस तरह की खबरें आ रहीं थीं कि ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन H-1B वीजा एक्सटेंशन पॉलिसी में बड़े बदलाव करने जा रहा है। जाहिर है कि अगर ये बदलाव होते तो भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता।
- एक अफसर ने कहा- H-1B वीजा होल्डर्स से जुड़े मामलों में ऐसा कोई रेग्युलेटरी चेंज नहीं किया जा रहा है जिसकी वजह से ये वीजा रखने वालों को देश छोड़ना पड़े। अमेरिका में इससे जुड़ी एक कानून की धारा (104 C) है।
- USCIS के एक अफसर जोनाथन विदिंगटन ने कहा- हम प्रेसिडेंट ट्रम्प की Buy American, Hire American पॉलिसी को लागू करने के लिए दूसरे बदलाव कर रहे हैं। इसमें इम्प्लॉईमेंट बेस्ड वीजा प्रोग्राम्स भी शामिल है।
- यह मामला तब और बढ़ा जब पिछले हफ्ते यूएस की न्यूज एजेंसी मैक्लाची ने खबर दी कि ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन H-1B वीजा एक्सटेंशन पॉलिसी में बड़े बदलाव करने जा रहा है। एजेंसी ने कहा था कि इन बदलावों को सबसे ज्यादा असर इंडियन आईटी प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा।
- H-1B वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है। इसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी थ्योरिटिकल या टेक्निकल एक्सपर्ट्स को अपने यहां रख सकती हैं।
- H-1B वीजा के तहत टेक्नोलॉजी कंपनियां हर साल हजारों इम्प्लॉइज की भर्ती करती हैं।
- USCIS जनरल कैटेगरी में 65 हजार फॉरेन इम्प्लॉइज और हायर एजुकेशन (मास्टर्स डिग्री या उससे ज्यादा) के लिए 20 हजार स्टूडेंट्स को एच-1बी वीजा जारी करता है।
- अप्रैल 2017 में यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेस (USCIS) ने 1 लाख 99 हजार H-1B पिटीशन रिसीव किया।
- अमेरिका ने 2015 में 1 लाख 72 हजार 748 वीजा जारी किए, यानी 103% ज्यादा। ये स्टूडेंट्स यूएस के किसी संस्थान में पढ़े हुए होने चाहिए। इनके सब्जेक्ट साइंस, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी और मैथ्स होने चाहिए।
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