झाबुआ, अशोकनगर, मण्डला, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर और सागर में लोगों ने किया धातु दान
आदि गुरु शंकराचार्य की अष्टधातु प्रतिमा निर्माण के लिये धातु संग्रहण के उद्देश्य से गत 19 दिसम्बर से आरम्भ एकात्म यात्रा आज झाबुआ, अशोकनगर, मण्डला, टीकमगढ़, छतरपुर और सागर जिले में पहुँची। यात्रा में झाबुआ जिले में 241, अशोकनगर में 230, मण्डला में 491, दमोह में 59, टीकमगढ़ में 11 और छतरपुर में 25 धातु पात्र का संकलन हुआ। यात्रा ने झाबुआ जिले में 35 किलोमीटर, अशोकनगर में 110, मण्डला में 50, टीकमगढ़ में 79, छतरपुर में 50, सागर में 10 और दमोह में आज 35 किलोमीटर की दूरी तय की।
झाबुआ से सुबह शुरू हुई यात्रा 6 गाँव और कस्बों में पहुँची, जिसमें 2 कलश यात्रा, एक शोभा यात्रा और 61 उप यात्रा शामिल हैं। इनमें 6,525 लोगों ने अपनी मौजूदगी दर्ज की। दोपहर को मेघनगर में हुए जन-संवाद में करीब 5 हजार लोगों ने स्वामी संवित सोमगिरी महाराज, श्री भूमानंद सरस्वती, गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री नारायण व्यास, विधायक श्री शांतिलाल बिलवाल, श्री कलसिंह भाबर, श्रीमती सुशीला प्रेमसिंह भाबर, जनपद अध्यक्ष श्री पुरुषोत्तम प्रजापति, श्री दयाराम दास महाराज, संत मुकेश दास, श्री मुकेश मेहता, श्री पर्वत मकवाना, श्री लक्ष्मण सिंह नायक और श्रीमती ज्योति बामनिया ने जन-संवाद को संबोधित किया। इसके बाद यात्रा 4 गाँव-कस्बों में गई, जहाँ पादुका पूजन के साथ कलश यात्रा, शोभा यात्रा और 20 उप यात्रा में 1300 से अधिक लोग शामिल हुए। शाम को थांदला में होने वाले मुख्य जन-संवाद में संवित सोमगिरि महाराज, श्री भूमानंद सरस्वती महाराज, विधायक श्री कलसिंह भाबर, श्री गेंदालाल डामोर, श्री गोपालदास महाराज, श्री पर्वत मकवाना आदि ने यात्रा के उद्देश्य और आदि शंकराचार्य के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में लोगों को बताया।
जिले में यात्रा का स्वागत मानव श्रृंखला, प्राकृतिक तोरण-द्वार बनाकर किया गया। महिला सशक्तिकरण एवं बेटी बचाओ अभियान, नशामुक्ति पर नाटक का मंचन किया गया। झाबुआ में हाथीपावा पहाड़ी पर संतों ने 40 पौधों का रोपण किया। झाबुआ के रातीतलाई विद्यालय में छात्रों से जन-संवाद किया गया।
अशोकनगर से सुबह 9 बजे आरंभ हुई यात्रा 22 गाँव और कस्बों से गुजरी, जिनमें 40 स्थानों पर पादुका पूजन किया गया। यात्रा के दौरान 3 कलश यात्रा, एक शोभा यात्रा और 15 उप यात्रा में करीब 6500 लोगों ने भाग लिया। मुंगावली में दोपहर को होने वाले जन-संवाद में करीब 800 लोगों को श्री विश्वेश्वरानंद महाराज, श्री राधे राधे महाराज, श्री राघवेन्द्र गौतम, श्री रणछोर महाराज और स्थानीय संतों ने संबोधित किया। इसके बाद यात्रा 5 गाँव में गुजरी, जिसमें लगभग 1500 लोगों ने शिरकत की। शाम को चंदेरी में होने वाले मुख्य संवाद में दो हजार से अधिक लोग उपस्थित थे। संवाद को श्री विश्वेश्वरानंद महाराज, श्री राधे राधे महाराज, श्री राघवेन्द्र गौतम, श्री रणछोर महाराज और स्थानीय संतों ने संबोधित किया।
मण्डला जिले में बिछिया से सुबह आरंभ हुई यात्रा 3 गाँव-कस्बों से गुजरी। इसकी 3 कलश यात्रा, 3 शोभा यात्रा और 55 उप यात्रा में लगभग 2500 लोगों की मौजूदगी थी। दोपहर को अंजनिया में और शाम को मण्डला में हुए जन-संवाद को स्वामी देवसानंद महाराज, मुक्तानंद महाराज, सांसद श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, विधायकद्वय श्री पंडित सिंह धुर्वे और श्री रामप्यारे कुलस्ते, जिला पंचायत अध्यक्ष सुश्री सरस्वती मरावी और उपाध्यक्ष श्री शैलेष मिश्रा ने संबोधित किया। अंजनिया में हुए जन-संवाद में लगभग 4 हजार लोग और मण्डला में करीब 12 हजार लोगों ने आमद दर्ज की।
टीकमगढ़ में यात्रा सुबह 9 बजे, छतरपुर में दोपहर 12 बजे, सागर में दोपहर 1.30 और दमोह-बटियागढ़ में दोपहर 3.30 बजे आरंभ हो गई। टीकमगढ़ में 3 शहरी और 7 ग्रामीण स्थानों पर यात्रा का पादुका पूजन एवं स्वागत हुआ, जिसमें लगभग 2500 लोगों ने भाग लिया। यात्रा में 7 कलाश यात्रा और एक-एक उप यात्रा शामिल हुई। दोपहर को टीकमगढ़ के समर्रा और बड़ागाँव और शाम को दमोह के हटा में होने वाले जन-संवादों में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। समर्रा में एक हजार, बड़ागाँव में 1200 और हटा में 3 हजार लोगों ने जन-संवाद में मण्डलेश्वर महाराज, श्री शिव चौबे, श्री सुल्तान सिंह शेखावत, श्री प्रदीप पटेल, श्री बबलू महाराज, श्री रामकृष्ण कुसमरिया, श्रीमती उमादेवी खटीक, श्री शिवचरण पटेल आदि को सुना। छतरपुर जिले में यात्रा के दौरान 16 गाँव-कस्बों में और दो शहरी क्षेत्रों में पादुका पूजन हुआ, जिसमें 7 हजार लोगों की, सागर जिले में दो स्थानों पर और दमोह में 9 स्थानों पर पादुका पूजन एवं स्वागत हुआ, जिसमें 4 हजार लोगों की उपस्थिति रही।
छतरपुर में स्कूली छात्र-छात्राओं ने दो किलोमीटर लम्बी मानव श्रृंखला बनाकर यात्रा का स्वागत किया। साधु-संतों को आदि शंकराचार्य के चित्र के रूप में स्मृति-चिन्ह भेंट किया गया। बुंदेली लोक कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुति दी।
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