रायपुर । राजधानी स्थित आनंद समाज लाइब्रेरी न सिर्फ आजादी की लड़ाई से ही जुड़ी है, बल्कि यहां की किताबें भी इतिहास बयां करती हैं। यहां 1865 से लेकर आजादी तक और इसके बाद की कई महत्वपूर्ण किताबें मौजूद हैं।
रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा इस भवन का जीर्णोद्धार करने के साथ ही यहां मौजूद पुरानी किताबों को भी संजोने की कवायद की जा रही है। रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के डायरेक्टर रजत बंसल ने मंगलवार को आनंद समाज लाइब्रेरी भवन के जीर्णोद्धार कार्यों की समीक्षा की। भवन का जीर्णोद्धार कार्य अब समाप्ति की ओर है।
इसके उद्घाटन की तैयारी की जा रही है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भवन के भीतर घुसते ही लोगों को अहसास होगा कि यह भवन आजादी के आंदोलन से जुड़ा हुआ है। आजादी के आंदोलन के समय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी इस भवन में जुटकर आंदोलन की योजना बनाते थे।
बापू ने किया था नागरिकों को संबोधित
इसी भवन के सामने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नागरिकों को संबोधित किया था। उन्होंने असहयोग आंदोलन में सहयोग के लिए उपस्थित लोगों से चंदा देने का आह्वान किया तो महिलाओं ने अपने सोने के गहने तक दान कर दिए थे।
बंसल ने कहा कि आजादी की यही भावना इस भवन के कोने-कोने पर दिखे, यह प्रयास है। अंचल की इस सबसे पुरानी लाइबे्ररी में साल 1865 की भी किताबें मौजूद हैं। देशी के साथ कई विदेशी किताबें बड़ी संख्या में हैं।
इनमें से कुछ किताबें जीर्णावस्था में हैं, जिसे नगर निगम आयुक्त रजत बंसल ने ठीक कराने के लिए विशेषज्ञों की मदद लेने के निर्देश दिए। पुरानी महत्वपूर्ण किताबों के लिए उन्होंने अलग से सेल्फ बनाने या अन्य तरीके से सुरक्षित रखने के भी निर्देश दिए। जल्द ही इस भवन का लोकार्पण भी किया जाएगा।
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