Friday, 23rd May 2025

200 साल पुरानी जंग की बरसी पर पुणे में हिंसा, एक की मौत; अंबेडकर के पोते ने महाराष्ट्र बंद की अपील की

Wed, Jan 3, 2018 1:00 AM

पुणे. भीमा-कोरेगांव की 200 साल पुरानी जंग की बरसी के मौके पर भीमा, पबल और शिकरापुर गांव में दलितों और मराठा समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गई। सोमवार को हुई इस हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई। ये विवाद पुणे से करीब 30 किलोमीटर दूर पुणे-अहमदनगर हाइवे में पेरने फाटा के पास हुआ। शख्स की मौत के विरोध में मंगलवार को प्रोटेस्टर्स ने गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी की। इस घटना के विरोध में मुंबई समेत महाराष्ट्र के 13 शहरों में हिंसा और प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। इन शहरों के प्रभावित हिस्सों में धारा 144 लागू कर दी गई है। उधर, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने घटना की ज्यूडिशियल इन्क्वॉयरी के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा, "कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसा फैलाई है। ऐसी हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।" इस बीच डॉ. अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद की अपील की है।

Q&A में समझें पूरा मामला?

किस जंग की बरसी मना रहे थे लोग?

- 1 जनवरी 1818 में कोरेगांव भीमा की लड़ाई में पेशवा बाजीराव द्वितीय पर अंग्रेजों ने जीत दर्ज की थी। इसमें कुछ संख्या में दलित भी शामिल थे।

- अंग्रेजों ने कोरेगांव भीमा में अपनी जीत की याद में जयस्तंभ का निर्माण कराया था। बाद में यह दलितों का प्रतीक बन गया।

विवाद की वजह क्या है?

- हर साल हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग जयस्तंभ पर श्रद्धांजलि देते हैं। सोमवार को रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) ने जंग की 200वीं बरसी पर खास कार्यक्रम कराया था। इसमें महाराष्ट्र के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट, बीजेपी सांसद अमर साबले, डेप्युटी मेयर सिद्धार्थ डेंडे और अन्य नेता शामिल हुए। इस मौके पर देशभर से करीब 2 लाख दलित यहां इकट्ठा हुए थे। मराठा कम्युनिटी इस प्रोग्राम का विरोध कर रही थी।

सोमवार को कैसे शुरू हुआ विवाद?

- शनिवार रात वढू बुद्रुक गांव में दो गुटों में विवाद हो गया था। इसके बाद सोमवार को भी तनाव के हालात थे। भीमा परिसर में कार्यक्रम के दौरान कुछ लोग भगवा झंडे लेकर पहुंचे और हिंसा शुरू हो गई।

कार्यक्रम के लिए प्रशासन ने क्या इंतजाम किए थे?

- आईजीपी (कोल्हापुर रेंज) विश्वास नांगरे-पाटिल ने बताया कि इलाके में सोमवार सुबह से ही तनावपूर्ण माहौल था। जिसके चलते कार्यक्रम वाली जगह पर भारी सुरक्षा की गई थी।

हिंसा का असर कहां-कहां हुआ?

- हिंसा को लेकर असर औरंगाबाद, ठाणे, मुंबई के कुछ इलाकों में दलित संगठन आरपीआई से जुड़े लोगों ने प्रोटेस्ट किया है। इसके अलावा बीड, परभणी, सोलापुर, जालना और बुलढाणा में भी प्रोटेस्ट हुआ है। कई जगहों से तोड़फोड़ की खबरें हैं। चेंबुर और गोवंडी के बीच प्रदर्शन के बाद हार्बर लाइन पर लोकल ट्रेन सर्विस प्रभावित हुई है। मुंबई और परभणी में भी लोगों ने ट्रेन रोकी।

हालात काबू में करने के लिए क्या कदम उठाए गए?

- मुंबई समेत महाराष्ट्र के 13 शहरों में धारा 144 लागू कर दी गई है। मोबाइल टॉवर बंद करने और नेटवर्क जैमर लगाने के निर्देश दिए गए हैं। सीआरपीएफ की दो टुकड़ियां शिकरापुर स्टेशन में तैनात की गई है। पुलिस की 6 कंपनियां लगाई गई हैं। एंटी रॉइट स्क्वॉड भी तैनात की गई है।

सरकार ने क्या एक्शन लिया?

- देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर करीब तीन लाख लोग आए थे। हमने पुलिस की 6 कंपनियां तैनात की थीं। कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसा फैलाई। इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. मृतक के परिवार वालों को 10 लाख के मुआवजा दिया जाएगा।"

- सीएम ने मृतक की फैमिली को 10 लाख मुआवजा देने का एलान किया है। साथ ही घटना की ज्यूडिशियल इन्क्वॉयरी के आदेश दे दिए गए हैं।

अपोजिशन ने क्या कहा?
- एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने इस हिंसा के लिए दक्षिणपंथी संगठनों की जिम्मेदार बताया है और आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। 
- पवार ने कहा, "भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह मनाई जा रही थी। हर साल यह दिन बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है। लेकिन इस बार कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने यहां की फिजा को बिगाड़ दिया।"
- आरपीआई लीडर रामदास अठावले ने जांच की मांग करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि 200 साल में ऐसी घटना नहीं हुई है।

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