भोपाल। चुनावी साल में राज्य सरकार प्रदेश के तकरीबन सवा करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को लुभाने में जुट गई है। जहां ग्रामीण उपभोक्ता और किसानों को फ्लेट रेट (तय दर) पर बिजली देने की तैयारी है। वहीं अगले साल बिजली की दरें भी नहीं बढ़ाई जा रही हैं।
इसे लेकर सरकार स्तर पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है। जल्द ही अंतिम निर्णय होना है। उधर, तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने घाटा बताते हुए बिजली की दरों में चार फीसदी का इजाफा करने का प्रस्ताव दे दिया है। ऐसी स्थिति में कंपनियों के घाटे की भरपाई सरकार सबसिडी देकर करेगी।
बिजली बिलों में गड़बड़ी सरकार के लिए समस्या बनी हुई है। इस मामले में प्रदेशभर में एक जैसे हालात हैं। इस गड़बड़ी की शिकायतें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी की गई हैं।
इसके बाद भी समस्या का समाधान न होने से बिजली उपभोक्ता नाराज हैं। इसे देखते हुए सरकार चुनावी साल में बिजली की दरें बढ़ाकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में प्रदेश के घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को 3.65 से 6.10 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जा रही है।
2924 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान
प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग को बिजली की दरों में चार फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। कंपनियों ने बताया है कि अगले साल वर्तमान दर पर बिजली दी तो 2924 करोड़ रुपए का घाटा संभावित है।
सूत्र बताते हैं कि तीनों कंपनियां विभिन्न् मदों में वित्तीय वर्ष 2017-18 में 36 हजार 324 करोड़ रुपए खर्च करेंगी, जबकि समस्त स्रोत (कंपनियों द्वारा इकठ्ठा किए जाने वाले राजस्व, सरकार की ओर से मिलने वाली टैरिफ सबसिडी, मुफ्त में दी जा रही बिजली राशि प्रतिपूर्ति, बिजली खरीदी और पीएफसी से अल्पावधि कर्ज) को मिलाकर 33 हजार 400 करोड़ रुपए मिलेंगे। यानी शुद्ध रूप से 2924 करोड़ रुपए का घाटा है।
आयोग लेगा फैसला
सूत्र बताते हैं कि बिजली कंपनियों के प्रस्ताव पर विद्युत नियामक आयोग को फैसला लेना है, लेकिन ये फैसला सरकार के तय करने के बाद ही होगा। फिलहाल आयोग कंपनियों के प्रस्ताव का परीक्षण कर रहा है।
दर बढ़ाने के पक्ष में नहीं
मैं बिजली की दरें बढ़ाने के पक्ष में नहीं हूं। मुख्यमंत्री से बात भी हो चुकी है। दरों में वृद्धि न हो, ये हमारी कोशिश रहेगी। - पारसचंद्र जैन, मंत्री, ऊर्जा विभाग
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