काबुल. अफगानिस्तान के जलालाबाद शहर में रविवार को हुए बम धमाके में 18 लोगों की मौत हो गई। वहीं 15 लोगों की हालत नाजुक है। प्रोविंशियल गवर्नर के स्पोक्सपर्सन अताउल्लाह खोग्यानी के मुताबिक ये धमाका एक अंतिम संस्कार के दौरान हुआ, जिससे इसमें शामिल होने वाले लोगों की मौत हुई है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक संगठन आईएसआईएस ने ली है। बता दें कि, बीते गुरुवार काबुल स्थित एक शिया कल्चरल सेंटर में आतंकी हमले से 41 लोगों की जान चली गई थी और 80 लोग घायल हुए थे।
- बीते गुरुवार काबुल के एक शिया कल्चरल सेंटर में सुसाइड बॉम्बर के हमले में 41 लोग मारे गए थे। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे।
- अफगानिस्तान के प्रेसिडेंट अशरफ गनी ने इस हमले की निंदा करते हुए इसे मानवता के खिलाफ गुनाह बताया था।
मई में हुए अटैक में मारे गए थे 90 लोग
- बता दें कि इसी साल मई में काबुल स्थित इंडियन एंबेसी के पास भी ऐसा ही अटैक किया गया था, जिसमें कम से कम 90 लोगों की मौत हो गई थी। 300 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।
जुलाई में कार ब्लास्ट में मारे गए थे 24 लोग
- गुलाई दावा खाना इलाके में 24 जुलाई को फिदायीन अटैक किया था। इसमें 24 लोगाें की मौत हो गई थी। 42 लोग जख्मी हुए थे।
हमलों में सबसे ज्यादा पिछले साल हताहत हुए
- यूनाइटेड नेशंस असिस्टेंस मिशन इन अफगानिस्तान (UNAMA) की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल अफगानिस्तान में हमलों में 3498 आम लोगों की मौत हुई थी। 7920 लोग घायल हुए। यानी 11418 लोग हताहत हुए। पिछले आठ सालों में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा था। 2015 की तुलना में इसमें 2% का इजाफा हुआ था।
- UNAMA की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल मार्च तक अफगानिस्तान में एयर स्ट्राइक और आतंकी हमलों में 715 लोगों की मौत हुई थी। 1466 लोग घायल हुए थे।
अमेरिकी फौज आने के बाद बढ़ रहीं मुश्किलें
- आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी और विदेशी सेनाएं अफगानिस्तानी फोर्स की मदद करती रही हैं।
- फिलहाल यहां 8400 अमेरिकी सैनिक और 5000 नाटो सैनिक हैं। इनका मुख्य काम सलाहकार के रूप में काम करना है।
- छह साल पहले तक यहां एक लाख से ज्यादा अमेरिकी सैनिक थे। 2011 से 2013 के बीच अमेरिकी फौज की वापसी के बाद यहां आतंकी हमलों में तेजी आई है।
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