भोपाल. गुरुवार को शाम विदिशा-अशोकनगर हाइवे पर हुआ था। इसमें तीन लोगों की मौत हो गई। एक्सीडेंट इतना भयानक था कि एक डेडबॉडी कार में फंसी रह गई, बाद में लोगों ने सब्बल से काटकर बाहर निकला। इस हादस में मां बेटे की मौत हो गई थी। आज दोनों का अंतिम संस्कार किया गया। अमित और उनकी मां आरती रिछारिया के शव को जैसे ही शव वाहन में रखकर ले जाने लगे। अमित की इकलौती बहन ज्योति दुबे मां और भाई को देखने की जिद करती रही। बहन एक ही रट लगा रही थी कि एक बार मां और भाई का चेहरा देख लेने दो। अब कभी नहीं दिखेंगे एक बार देख लेने दो। पड़ोस के लोगों ने बताया कि अमित का प्रमोशन होने वाला था और उनकी मांं आरती सुंदरकांड कराने वाली थी। पिता के बाद अब मां और भाई को भी नहीं रहे...
- जब ज्योति को वहां मौजूद परिवार के लोगों ने पकड़ा तो वह फिर छूटकर गाड़ी के पीछे दौड़ गई। वो एक ही जिद कर रही थी कि एक बार तो देख लेने दो। हादसे में मां-बेटे का चेहरा इतनी बुरी तरह बिगड़ गया था कि उसे देख पाना भी संभव नहीं था।
- ऐसे में परिवार के लोग उन्हें दिलासा देने की कोशिश करते रहे। पिता की भी पहले मुंबई बम ब्लास्ट में मौत हो गई थी। जब शव वाहन के चला गया उसके बाद भी वो घर के बाहर मूरत बनी खड़ी रही।
सुंदरकांड के लिए दूध के पैकेट लेकर रखने को कहा था आरती ने
- पड़ोसी सुशीला खरे के मुताबिक, हमें तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि ऐसा कैसे हो गया। पूरे परिवार ने खूब संघर्ष किया। इतने जख्म सहने के बाद भी कभी उन्हें कभी रोते नहीं देखा।
- हर परिस्थिति में उन्हें मुस्कुराना आता था। अमित को प्रमोशन मिलने वाला था। उसके लिए ही आरती ने घर में सुंदरकांड का आयोजन करने का निर्णय लिया था। वे घर से निकलने के पहले बहुत खुश थे।
- आरती ने दूध के तीन पैकेट रखने को कहा था। आरती और अमित हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते थे। कहते थे कि बम धमाकों में अमित को भी तो मदद मिली थी। हमें भी मदद करना चाहिए।
मुंबई चला जाता तो बच जाती जान
- बहन उस दिन को याद करके रो रही हैं कि काश अमित 24 दिसंबर को मुंबई चला गया होता तो मां-बेटे की जान बच जाती। भांजे को एक प्रतियोगिता में शामिल होना था। लेकिन अंतिम समय में प्रतियोगिता रद्द हो गई। इससे वे मुंबई नहीं गए।
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