नई दिल्ली. पाकिस्तान में फलस्तीन के राजदूत ने जमात-उद-दावा की एक रैली में शिरकत की थी। वे इस रैली में सिर्फ शामिल ही नहीं हुए, बल्कि मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के साथ मंच भी साझा किया। भारत ने राजदूत के इस कदम पर सख्त आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस रैली की फोटो सामने आने के बाद वह फलस्तीन सरकार के सामने इस मुद्दे को सख्ती से उठाने जा रहे हैं।
- पाकिस्तानी जर्नलिस्ट ओमार आर कुरैशी ने रैली की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है।
भारत का क्या कहना है?
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने शुक्रवार शाम को मीडिया ब्रीफिंग के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा- "हमने इस बारे में रिपोर्ट देखी है। हम इस मामले को नई दिल्ली में फलस्तीन के राजदूत और फलस्तीन की सरकार के सामने सख्ती से उठा रहे हैं।
- भारत का मानना है कि फलस्तीनी राजदूत का यह कदम न केवल भारतीय हितों की अनदेखी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय तौर पर घोषित एक आतंकवादी का खुला समर्थन भी है।
इजरायल ने क्या कहा?
- इस पर इजरायल ने भी प्रतिक्रिया दी है। इजरायली दूतावास में पब्लिक डिप्लोमेसी की प्रमुख फ्रोइम दित्जा ने ट्विटर पर लिखा- "राजदूत कितनी 'चार्मिंग' कंपनी रखते हैं।"
येरूशलम पर भारत ने दिया था फलस्तीन का साथ
- दिसंबर के पहले हफ्ते में अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने विरोधों को नजरअंदाज करते हुए येरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित कर दिया था। उन्होंने कहा कि अमेरिका अपनी एम्बेसी तेल अवीव से इस पवित्र शहर में ले जाएगा। अमेरिका हमेशा से दुनिया में शांति का पक्षधर रहा है और आगे भी रहेगा।
- इसके बाद विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन रवीश कुमार ने कहा था, "फलस्तीन को लेकर भारत की स्वतंत्र स्थिति है। इसका फैसला हमारे हितों और विचारों से ही तय होगा। कोई तीसरा देश ये तय नहीं कर सकता।"
- बाद में, यूएनजीए में रेजोल्यूशन लाया गया। भारत समेत 128 देशों ने यूनाइटेड नेशन्स जनरल असेंबली (UNGA) में येरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने के फैसले का विरोध किया। 128 देशों ने इस रेजोल्यूशन का समर्थन किया, 9 ने इसके विरोध में वोट डाला, जबकि 35 देशों ने इससे दूरी बनाए रखी।
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